देश / मोदी सरकार ने आज से लागू कर दिया ये नया कानून, अब धोखाधड़ी करने वालों की खैर नहीं

मोदी सरकार ने आज से एक नया कानून लागू कर दिया है। ये खास कानून देश की जनता को और ज्यादा ताकतवर बनाएगी। ग्राहकों के साथ आए दिन होने वाले धोखाधड़ी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण का नया कानून आज से लागू करने का फैसला किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 को 20 जुलाई से लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दिया गया है।

Zee News : Jul 20, 2020, 03:58 PM
नई दिल्ली: मोदी सरकार (Modi Govt) ने आज से एक नया कानून (New Law) लागू कर दिया है। ये खास कानून देश की जनता को और ज्यादा ताकतवर बनाएगी। ग्राहकों के साथ आए दिन होने वाले धोखाधड़ी को रोकने के लिए मोदी सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण का नया कानून आज से लागू करने का फैसला किया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 (Consumer Protection Act-2019) को 20 जुलाई से लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दिया गया है। नए कानून ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की जगह ली है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है नया कानून 20 जुलाई यानि आज से लागू माना जाएगा। नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 (Consumer Protection Act-2019) को सरकार ने अधिसूचित कर दिया है। इस नए कानून के लागू होते ही ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कई नए नियम लागू हो गए हैं। जो पुराने एक्ट में नहीं थे। खास तौर से पिछले कुछ सालों में आए नए बिजनेस मॉडल्स को भी इसमें शामिल किया गया है। 

नए कानून की ये हैं विशेषताएं

-नए कानून में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी कार्रवाई की जाएगी

-उपभोक्ता देश के किसी भी कंज्यूमर कोर्ट में मामला दर्ज करा सकेगा

-नए कानून में Online और Teleshopping कंपनियों को पहली बार शामिल किया गया है

-खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान

-कंज्यूमर मीडिएशन सेल का गठन। दोनों पक्ष आपसी सहमति से मीडिएशन सेल जा सकेंगे

-PIL या जनहित याचिका अब कंज्यूमर फोरम में फाइल की जा सकेगी। पहले के कानून में ऐसा नहीं था

-कंज्यूमर फोरम में एक करोड़ रुपये तक के केस दाखिल हो पाएंगे

-स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में एक करोड़ से दस करोड़ रुपये तक के केसों की सुनवाई होगी

-नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन में दस करोड़ रुपये से ऊपर केसों की सुनवाई