देश / किसान आंदोलन पर बोले तोमर- ‘झूठ की दीवार’ कभी मजबूत नहीं होती, जल्द गिरेगी

केन्द्र सरकार की तरफ से तीन नए कृषि कानूनों पर पिछले करीब एक महीने से हजारों की तादाद में किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। इस बीच केन्द्र सरकार ने बुधवार यानी 30 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत के लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाया है।

Vikrant Shekhawat : Dec 28, 2020, 10:10 PM
नई दिल्ली | केन्द्र सरकार की तरफ से तीन नए कृषि कानूनों पर पिछले करीब एक महीने से हजारों की तादाद में किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। इस बीच केन्द्र सरकार ने बुधवार यानी 30 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत के लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाया है।

दबाव में पवार-मनमोहन ले पाए स्टैंड

इधर, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों का विरोध करने को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा- यूपीए सरकार के दौरान मनमोहन सिंह और शरद पवार कृषि कानून लाना चाहते थे, लेकिन दबाव और प्रभाव के चलते उस पर स्टैंड नहीं ले पाए।

तोमर ने कहा- हम सौभाग्यशाली है कि आज मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री हैं जो देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए नि: स्वार्थ भावना के साथ काम कर रहे हैं।

कृषि मंत्री ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी मदद, सकारात्मक रुख  और समझ से इन कानूनों को लागू किया जाएगा और हम किसानों को इसके बारे में समझाने में कामयाब होंगे। एक नया रास्ता का निर्माण होगा और भारत का कृषि संपन्न होगा।

30 दिसंबर को अगले दौर की वार्ता

गौरतलब है कि इससे पहले केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश गहलोत ने भी यह कहा था कि अगले दौर की किसानों के साथ सरकार की वार्ता में समाधान निकल आएगा। ऐसे में सरकार के तरफ से किसानों को 30 दिसंबर को बुलावा को गतिरोध को खत्म करने कि दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

इससे पहले, किसान संगठनों के साथ पांच दौर की वार्ता का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया। सरकार कृषि कानूनों के संशोधन पर राजी थी और इसके लेकर किसान संगठनों के पास प्रस्ताव भी भेजा गया था। लेकिन, किसानों ने उन प्रस्तावों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले। ऐसे में अब सभी की नजर बुधार को होने वाली किसान और सरकार के बीच की बैठक पर टिक गई है।