किसान आंदोलन / नरेश गुजराल: कृषि कानून वापस हुए बगैर घर नहीं जाएंगे किसान

शिरोमणि अकाल दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान कृषि कानूनों को रद्द कराए बगैर घर लौटने वाले नहीं हैं, इसलिए सरकार इन काले कानूनों को तुरंत वापस ले। उन्होंने राज्यसभा में चर्चा के दौरान बजट का विरोध किया। गुरुवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए गुजराल ने कहा कि सरकार किसानों को अपमानित कर रही है। जिन किसानों के बच्चे सीमाओं पर देश की रक्षा में डटे हुए हैं.

Vikrant Shekhawat : Feb 11, 2021, 07:32 PM
शिरोमणि अकाल दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत किसान कृषि कानूनों को रद्द कराए बगैर घर लौटने वाले नहीं हैं, इसलिए सरकार इन काले कानूनों को तुरंत वापस ले। उन्होंने राज्यसभा में चर्चा के दौरान बजट का विरोध किया। गुरुवार को चर्चा में हिस्सा लेते हुए गुजराल ने कहा कि सरकार किसानों को अपमानित कर रही है। जिन किसानों के बच्चे सीमाओं पर देश की रक्षा में डटे हुए हैं, उन्हें खालिस्तानी, आतंकवादी और न जाने क्या-क्या कहा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में 23 हजार करोड़ रुपये से बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक वित्त संस्थान बनाने का ऐलान किया है। ऐसा ही संस्थान कृषि क्षेत्र के लिए भी बनाया जाना चाहिए था। आज 90 हजार करोड़ रुपये की फल-सब्जियां हर साल बर्बाद हो जाती हैं। प्रसंस्करण उद्योगों को प्रोत्साहित किए जाने से इस बर्बादी को रोका जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी में बढ़ोत्तरी की है। फसल बीमा योजना शुरू की है। किसान सम्मान निधि भी दी जा रही है। लेकिन इसके बावजूद किसान क्यों आंदोलित हैं, यह भी सरकार को देखना चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा में एमएसपी पर होने वाली सरकारी खरीद के रूप में किसानों को गेहूं एवं धान की खरीद का बाजार उपलब्ध है। वे इसे खत्म किए जाने का खतरा मोल नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बार-बार एमएसपी खत्म नहीं होने की बात कह रहे हैं। लेकिन एमएसपी सिर्फ सरकारी एजेंसियां देती हैं। जब निजी क्षेत्र खरीद करेगा तो वह एमएसपी नहीं देगा।