AajTak : Jun 24, 2020, 09:38 AM
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station - ISS) पर पुराने तकनीक के टॉयलेट का उपयोग कर रहा है। अब उसने नया टॉयलेट बनाया है कि जिसकी कीमत करीब 23 मिलियन डॉलर्स है। यानी करीब 174 करोड़ रुपये। इतने रुपए में तो भारत में हजारों टॉयलेट बन सकते हैं। लेकिन नासा का ये टॉयलेट बेहद खास है। इसे स्पेस स्टेशन पर लगाया जाना है।
पिछले कुछ सालों में महिलाओं का स्पेस स्टेशन पर आना-जाना बढ़ गया है। ऐसे में दिक्कत आ रही थी कि पुराना टॉयलेट महिलाओं के हिसाब से नहीं था। इसलिए नासा ने छह के साल के रिसर्च के बाद एकदम नया टॉयलेट बनाया है, इसे पुरुष और महिलाएं दोनों ही उपयोग कर पाएंगे।अभी तक जो टॉयलेट स्पेस स्टेशन पर लगा था उसे पुरुषों के हिसाब से बनाया गया था। लेकिन अब महिला एस्ट्रोनॉट्स की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए नया टॉयलेट बनाया गया है। ताकि महिलाओं को स्पेस स्टेशन और आगे आने वाले मिशन में दिक्कत न हो। नासा ने महिलाओं के लिए इस टॉयलेट का नाम रखा है - यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (Universal Waste Management System - UWMS)। इसे बनाने में 6 साल और 174 करोड़ रुपये लगे हैं। इस टॉयलेट को नासा सितंबर में स्पेस स्टेशन भेजेगा।अभी तक नासा में जिस टॉयलेट का उपयोग हो रहा था उसे माइक्रोग्रैविटी टॉयलेट कहते थे। यह मल को खींचकर उसे रिसाइकल कर देता था। लेकिन अब जो टॉयलेट भेजा जाएगा उसमें फनल-फंक्शन सिस्टम होगा। ताकि एस्ट्रोनॉट्स टॉयलेट का उपयोग बेहतर तरीके से कर सकें। पुराने टॉयलेट की तुलना में नया टॉयलेट जगह भी कम घेरेगा। इसका वजन भी कम है। साथ ही इसका इस्तेमाल आसान होगा। इसमें यूरिन ट्रीटमेंट की सुविधा है। साथ ही अंतरिक्षयात्रियों को टॉयलेट पर बैठते समय पैर फंसाने के लिए जगह बनी होगी। पहले के टॉयलेट में यूरीन और मल को अलग-अलग करना बेहद मुश्किल था। उसे रिसाइकिल करने की प्रक्रिया भी जटिल थी। लेकिन इस नए टॉयलेट में पेशाब और मल दोनों अलग-अलग हो जाएंगे और उनकी रिसाइक्लिंग भी अलग-अलग होगी। स्पेस स्टेशन के बाद इस टॉयलेट का उपयोग उस रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट में भी किया जा सकता है, जिसे नासा 2024 में अपने मून मिशन में भेजेगा। इस मिशन का नाम है अर्टेमिस मिशन।
पिछले कुछ सालों में महिलाओं का स्पेस स्टेशन पर आना-जाना बढ़ गया है। ऐसे में दिक्कत आ रही थी कि पुराना टॉयलेट महिलाओं के हिसाब से नहीं था। इसलिए नासा ने छह के साल के रिसर्च के बाद एकदम नया टॉयलेट बनाया है, इसे पुरुष और महिलाएं दोनों ही उपयोग कर पाएंगे।अभी तक जो टॉयलेट स्पेस स्टेशन पर लगा था उसे पुरुषों के हिसाब से बनाया गया था। लेकिन अब महिला एस्ट्रोनॉट्स की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए नया टॉयलेट बनाया गया है। ताकि महिलाओं को स्पेस स्टेशन और आगे आने वाले मिशन में दिक्कत न हो। नासा ने महिलाओं के लिए इस टॉयलेट का नाम रखा है - यूनिवर्सल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (Universal Waste Management System - UWMS)। इसे बनाने में 6 साल और 174 करोड़ रुपये लगे हैं। इस टॉयलेट को नासा सितंबर में स्पेस स्टेशन भेजेगा।अभी तक नासा में जिस टॉयलेट का उपयोग हो रहा था उसे माइक्रोग्रैविटी टॉयलेट कहते थे। यह मल को खींचकर उसे रिसाइकल कर देता था। लेकिन अब जो टॉयलेट भेजा जाएगा उसमें फनल-फंक्शन सिस्टम होगा। ताकि एस्ट्रोनॉट्स टॉयलेट का उपयोग बेहतर तरीके से कर सकें। पुराने टॉयलेट की तुलना में नया टॉयलेट जगह भी कम घेरेगा। इसका वजन भी कम है। साथ ही इसका इस्तेमाल आसान होगा। इसमें यूरिन ट्रीटमेंट की सुविधा है। साथ ही अंतरिक्षयात्रियों को टॉयलेट पर बैठते समय पैर फंसाने के लिए जगह बनी होगी। पहले के टॉयलेट में यूरीन और मल को अलग-अलग करना बेहद मुश्किल था। उसे रिसाइकिल करने की प्रक्रिया भी जटिल थी। लेकिन इस नए टॉयलेट में पेशाब और मल दोनों अलग-अलग हो जाएंगे और उनकी रिसाइक्लिंग भी अलग-अलग होगी। स्पेस स्टेशन के बाद इस टॉयलेट का उपयोग उस रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट में भी किया जा सकता है, जिसे नासा 2024 में अपने मून मिशन में भेजेगा। इस मिशन का नाम है अर्टेमिस मिशन।