RBI Meeting / नोट कर लीजिए ये तारीख, RBI की मौद्रिक समिति की बैठक में बड़ा फैसला होने वाला है

भारतीय रिजर्व बैंक 6 दिसंबर 2024 को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर 6.5% पर स्थिर रख सकता है। महंगाई के ऊंचे स्तर और धीमी जीडीपी वृद्धि के चलते विशेषज्ञ यथास्थिति की संभावना जता रहे हैं। संभावित दर कटौती फरवरी 2025 में संभव है, अगर महंगाई में नरमी आती है।

Vikrant Shekhawat : Dec 02, 2024, 06:00 AM
RBI Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगले सप्ताह होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर, यानी रेपो रेट, को अपरिवर्तित रखने का निर्णय ले सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च महंगाई और दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि के कमजोर आंकड़ों को देखते हुए केंद्रीय बैंक इस बार किसी बड़ी दर वृद्धि से बच सकता है।

कब और क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक?

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4-6 दिसंबर 2024 को होगी। इस बैठक के परिणाम की घोषणा 6 दिसंबर को की जाएगी। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब खुदरा महंगाई दर लगातार आरबीआई की निर्धारित सहनशीलता सीमा (4-6%) से ऊपर बनी हुई है।

क्या होगा रेपो दर का भविष्य?

रेपो दर को फरवरी 2023 से 6.5% पर स्थिर रखा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई इस दर को अभी और समय तक स्थिर रख सकता है।

  • महंगाई का प्रभाव: अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर ने 6% का स्तर पार कर लिया। यह केंद्रीय बैंक की चिंता का मुख्य कारण है।
  • जीडीपी की स्थिति: दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि उम्मीद से कम रही है। यह आर्थिक पुनरुद्धार की गति पर सवाल उठाता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, "वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और महंगाई के दबाव को देखते हुए, आरबीआई यथास्थिति बनाए रख सकता है।"

आर्थिक विशेषज्ञों की राय

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि महंगाई के ऊंचे स्तर को देखते हुए दिसंबर की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, उनका मानना है कि यदि महंगाई में नरमी आती है, तो फरवरी 2025 में दरों में कटौती संभव हो सकती है।

आरबीआई के संभावित फैसले और प्रभाव

  1. महंगाई पर फोकस: आरबीआई का प्राथमिक उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना है। खुदरा महंगाई के ऊंचे स्तर को देखते हुए ब्याज दरों में कोई कटौती करना अभी जोखिमपूर्ण होगा।
  2. आर्थिक वृद्धि: मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए, आरबीआई अपने जीडीपी पूर्वानुमान में संशोधन कर सकता है। कमजोर जीडीपी वृद्धि के चलते केंद्रीय बैंक आगे चलकर नीतिगत उपायों पर पुनर्विचार कर सकता है।
  3. भविष्य की संभावना: फरवरी 2025 तक महंगाई में गिरावट होने पर ब्याज दरों में कटौती की संभावना है।

निष्कर्ष

आरबीआई की आगामी बैठक भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण दिशा तय करेगी। महंगाई और जीडीपी के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए, रेपो दर में कोई बदलाव न करना केंद्रीय बैंक की विवेकपूर्ण रणनीति हो सकती है। हालांकि, फरवरी 2025 में दरों में संभावित कटौती की उम्मीदें आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत दे सकती हैं।