Vikrant Shekhawat : Sep 06, 2024, 12:00 PM
UP Congress: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी पिछले साढ़े तीन दशकों से सत्ता से बाहर है, लेकिन हाल ही में लोकसभा चुनाव में 99 सीटों पर विजय के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हैं। इस सफलता ने कांग्रेस को नया उत्साह और आत्मविश्वास प्रदान किया है, जिसके तहत पार्टी ने अब यूपी संगठन की पूरी तरह से ओवरहालिंग करने का निर्णय लिया है।कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि जिला और शहर अध्यक्षों की सूची को पुनः देखें और उन नेताओं को हटाएं जो सक्रिय नहीं हैं। पार्टी का लक्ष्य है कि 2027 विधानसभा चुनाव के लिए यूपी संगठन को तैयार किया जाए और इसे अधिक प्रभावी बनाया जाए।प्रियंका गांधी की दिशा में नया नेतृत्वकांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले छह राष्ट्रीय सचिवों को यूपी की जिम्मेदारी फिर से सौंप दी गई है। इनमें धीरज गुर्जर, राजेश तिवारी, तौकीर आलम, प्रदीप नरवाल, नीलांशु चतुर्वेदी और सत्यनारायण पटेल शामिल हैं। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में इन सचिवों ने पहले भी यूपी में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, और अब इनका कार्यभार एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के संगठन को संवारने का होगा।हाल ही में दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई, जिसमें पार्टी ने यूपी संगठन के पुनर्गठन की योजना बनाई। इस बैठक में यह तय किया गया कि सक्रियता न दिखाने वाले जिला और शहर अध्यक्षों को हटा कर उनकी जगह नए और सक्षम नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।रणनीतिक पुनर्गठन और उपचुनावकांग्रेस ने तय किया है कि संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया को 10 से 15 दिनों में पूरा किया जाएगा। शनिवार को दिल्ली में होने वाली बैठक में यूपी संगठन में बदलाव की प्रक्रिया पर गहन विचार-विमर्श होगा। इस बैठक में उपचुनाव की रणनीति पर भी चर्चा की जाएगी, जिससे कि आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति मजबूत हो सके।अल्पसंख्यक अध्यक्ष की नियुक्तिकांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय के लिए भी नई रणनीति बनाई है। पूर्व अल्पसंख्यक प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम को राष्ट्रीय सचिव बनाकर बिहार का प्रभार सौंपा गया है, जिससे यूपी में नए अल्पसंख्यक अध्यक्ष की नियुक्ति की आवश्यकता है। कांग्रेस इस बार संभवतः एक के बजाय तीन से चार अध्यक्षों की नियुक्ति पर विचार कर सकती है, जिससे अल्पसंख्यक वोटरों की प्रभावी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।भविष्य की दिशाकांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकते हैं। पार्टी ने अब से ही इस दिशा में अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। यह देखा जाएगा कि कांग्रेस अपने संगठनात्मक बदलाव को कितनी तेजी से लागू करती है और किस प्रकार से नए अध्यक्षों की नियुक्ति करती है।कांग्रेस के लिए यह समय पुनर्निर्माण और संगठनात्मक बदलाव का है। पार्टी की कोशिश है कि वह यूपी में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाए और आगामी चुनावों में एक सशक्त विपक्षी भूमिका निभा सके। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस अपने इस बदलाव के मिशन में कितनी सफल होती है और क्या वह यूपी में अपनी खोई हुई साख को फिर से हासिल कर पाती है।