Vikrant Shekhawat : Feb 10, 2021, 09:08 PM
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा में किसान आंदोलन, कोरोना वायरस समेत विभिन्न मुद्दों पर खुलकर राय रखी। उन्होंने दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन के बारे में जहां कहा कि वे कानून में बताएं कि गलती कहां है तो उसे बदलने के लिए तैयार हैं, तो वहीं कोरोना वायरस पर कहा कि कोरोना काल में भारत ने जिस तरह से दुनिया को संभालने में मदद की, वह एक तरीके से टर्निंग प्वाइंट था। कृषि कानूनों के मुद्दे पर सदन में हंगामा कर रही कांग्रेस पर पीएम मोदी ने चुटकी भी ली। उन्होंने कांग्रेस को कन्फ्यूज और डिवाइडेड पार्टी बताया। पढ़ें, पीएम मोदी के भाषण से जुड़ी 10 अहम बातें...1- पीएम मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन को पवित्र मानता हूं, भारतीय लोकतंत्र में आंदोलन का का महत्व है और रहेगा, लेकिन आंदोलनजीवियों ने किसानों के पवित्र आंदोलन को बदनाम किया। जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने फायदे के लिए उठाते हैं तो क्या होता है। नक्सलवादी, आतंकवादी आदि जो जेल में बंद हैं, उनकी फोटो लेकर रिहाई की मांग की जाती है। ऐसा करना किसान आंदोलन को अपवित्र बनाने का प्रयास है। आंदोलन के तौर-तरीकों को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारी ऐसे तरीके नहीं अपनाते, बल्कि आंदोलनजीवी ऐसा करते हैं, ये तौर-तरीके देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।2- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में 18वीं सदी के सोच से कृषि का भला नहीं कर सकते, इसे बदलना होगा। तीनों कृषि कानून लागू होने के बाद देश में कहीं मंडी बंद नहीं हुई और न ही एमएसपी बंद हुआ, एमएसपी पर खरीद बढ़ी है।3- कांग्रेस पार्टी का एक तबका राज्यसभा में एक तरफ चलता है और दूसरा तबका लोकसभा में दूसरी तरफ चलता है, ऐसी विभाजित पार्टी देश का भला नहीं कर सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सदन में तीनों कृषि कानूनों के कंटेंट (विषय वस्तु) और इंटेंट (मंशा) पर बात नहीं हुई।4- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त विश्व ने एक नया आकार लिया था और ठीक उसी प्रकार कोविड-19 के बाद भी विश्व अपना आकार लेगा लेकिन आज का भारत मूकदर्शक बना नहीं रह सकता।5- उन्होंने कहा कि आज फार्मेसी के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है और देश ने दुनिया को कोविड संक्रमण के दौरान दिखाया कि वह कैसे वैश्विक कल्याण के काम आ सकता है। कोरोना काल के बाद एक नयी विश्व व्यवस्था बनती नजर आ रही है, जिसमें भारत विश्व से कटकर नहीं रह सकता, हमें भी एक मजबूत पक्ष के रूप में उभरना होगा, सशक्त होना पड़ेगा और इसका रास्ता 'आत्मनिर्भर भारत है।6- कोरोना काल में भारत ने जिस प्रकार से अपने आपको संभाला और दुनिया को संभालने में मदद की, वह एक प्रकार से टर्निंग प्वाइंट है। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक टिप्पणी का उल्लेख करते हुए लोकसभा में कहा कि भगवान की कृपा थी कि दुनिया हिल गई, लेकिन भारत बच गया, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी भगवान का रूप बनकर आए।7- प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचय है कि विकट और विपरीत परिस्थितियों में देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और उसे हासिल करते हुए आगे बढ़ता है। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत की विकास दर दहाई अंकों में होगी, मुझे उम्मीद है कि देशवासियों की अकांक्षा के अनुसार देश प्रगति करेगा।8- हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं। यहा राजा जनक और कृषि के भाई बलराम ने भी हल चलाई है। कृषि के क्षेत्र में बदलाव की आवश्यक्ता है। हमारे यहां संभावना है। किसानों को सही तरीके से गाइड करना होगा। कृषि में निवेश की आवश्यक्ता है। केंद्र और राज्य सरकार उतना काम नहीं कर पा रही है। किसान के बस की भी बात नहीं है।9- मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों। दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया। शादी की उम्र, शिक्षा के अधिकार की मांग किसी ने नहीं की थी, लेकिन कानून बने। क्योंकि समाज को इसकी जरूरत थी।10- संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है।