AajTak : Sep 01, 2020, 06:30 AM
Delhi: भारत रत्न और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का 84 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के आर्मी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति के सम्मान में 7 दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। उनका मंगलवार को दिल्ली में दोपहर 2:30 बजे लोधी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया। पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे। जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।
97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थींप्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया। राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं। प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया। पीएम मोदी ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा देश दुखी है, वह एक स्टेट्समैन थे। जिन्होंने राजनीतिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र के हर तबके की सेवा की है। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक व्यक्त किया।
प्रणब मुखर्जी के निधन पर बंगाल की ममता सरकार ने भी 1 सितंबर को राज्य में शोक घोषित किया है। सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। राज्य पुलिस दिवस समारोह भी 2 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया गया है। बता दें कि प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और उनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी भी की गई थी। प्रणब मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली के RR अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बाद सर्जरी की गई थी, उसी वक्त उनके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी।Centre declares seven day national mourning as a mark of respect to Former President #PranabMukherjee
— Prasar Bharati News Services (@PBNS_India) August 31, 2020
97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थींप्रणब मुखर्जी को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया। राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं। प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं।