Gajendra Singh Rathore : Jan 15, 2025, 12:41 PM
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन जारी है और इसी बीच साध्वी हर्षा रिछारिया का नाम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। उनके वीडियो और तस्वीरें लगातार साझा की जा रही हैं। हालांकि, कुछ लोग उन्हें सराह रहे हैं तो कुछ उनकी आस्था पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में हर्षा ने खुद सामने आकर ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया।
साध्वी नहीं हैं हर्षा रिछारिया
हर्षा रिछारिया ने स्पष्ट किया है कि वे साध्वी नहीं हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्होंने कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं करवाए हैं। इसलिए उन्हें साध्वी का टाइटल नहीं दिया जाना चाहिए। हर्षा ने कहा, "मैंने सिर्फ गुरु दीक्षा और मंत्र दीक्षा ली है और इसका पालन कर रही हूं। मैंने खुद को सनातन धर्म के लिए समर्पित कर दिया है।"कौन हैं हर्षा रिछारिया?
हर्षा रिछारिया मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं। उन्होंने ग्लैमर की दुनिया को छोड़कर आध्यात्मिकता का रास्ता अपनाया। उन्हें स्वामी कैलाशानंद गिरि ने आध्यात्म की दीक्षा दी है। हर्षा ने बताया कि पेशेवर जीवन में दिखावा और आडंबर उन्हें उबा चुका था। उन्होंने महसूस किया कि वास्तविक सुख और शांति केवल सनातन धर्म की शरण में ही मिल सकती है। स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेने के बाद हर्षा ने जीवन को एक नया अर्थ दिया।साध्वी बनने की प्रक्रिया
किसी भी महिला को साध्वी बनने के लिए कई कड़ी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। इसमें संकल्प लेना, गुरु की तलाश करना और संसारिक मोह का त्याग करना शामिल है। साध्वी बनने के बाद महिला को ताउम्र भगवा वस्त्र धारण करना होता है और शराब व मांस से दूर रहना पड़ता है। इसके अलावा, साध्वी को साधना में समय देना होता है और सिर्फ सादा व उबला हुआ भोजन ही ग्रहण करना होता है। साध्वी बनने से पहले महिला के घर और जन्म की कुंडली भी जांची जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसका परिवार और समाज से कोई नाता न हो।साध्वी बनने की प्रमुख प्रक्रियाएँ
- गुरु की तलाश: साध्वी बनने के लिए सबसे पहले गुरु की खोज करनी होती है। गुरु ही दीक्षा देते हैं और साध्वी बनने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
- वैराग्य: संसारिक जीवन से मोह त्यागना अनिवार्य होता है। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और शास्त्रों की जानकारी प्राप्त करना पड़ता है।
- गुरुसेवा: गुरु मिलने के बाद उनका अनुसरण करना और उनकी सेवा करना आवश्यक होता है। यह प्रक्रिया प्रारंभिक स्तर पर सरल होती है लेकिन आगे चलकर और भी कठोर हो जाती है।