Vikrant Shekhawat : Jun 11, 2021, 11:33 AM
नई दिल्ली: दिल्ली के एक प्राइवेट हॉस्पिटल (Private Hospital) के डॉक्टरों ने बड़ी सफलता हासिल की है और दावा किया है कि एक महिला के गर्भाशय को बचाते हुए उसके शरीर से 106 फाइब्रॉएड (Fibroids) (गैर-कैंसर वाले ट्यूमर) को निकालने का असाधारण काम किया है।बेहद नाजुक थी महिला की हालतअस्पताल की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक 29 वर्षीय महिला को फरवरी में बीएलके मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने बताया कि महिला की हालत बहुत नाजुक थी और गंभीर दर्द के साथ भारी मासिक धर्म प्रवाह के बाद बेहोशी की हालत में अस्पताल लाई गई थी। उस दौरान उसका हीमोग्लोबिन का स्तर भी 7.2 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक गिर चुका था।फाइब्रॉएड से भर गया था महिला का पूरा पेटअस्पताल ने बताया, 'अल्ट्रासाउंड से पता चला कि उसके गर्भाशय के आकार के कई फाइब्रॉएड से उसका पूरा पेट भर गया था। गर्भाशय फाइब्रॉएड आमतौर पर गर्भाशय के गैर-कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं जो प्रजनन आयु की महिलाओं को प्रभावित करते हैं। उन्हें लेयोमायोमास या मायोमास भी कहा जाता है। ये बिना किसी लक्षण के मौजूद हो सकते हैं, लेकिन कभी-कभी पीरियड के दौरान इसके चलते भारी रक्तस्राव, एनीमिया, पेट में दर्द या बांझपन हो सकता है।महिला नहीं चाहती थी निकाला जाए गर्भाशयएक डॉक्टर के अनुसार, फाइब्रॉएड की अधिक संख्या होने की वजह से प्रक्रिया और अधिक चुनौतीपूर्ण बन गई थी। उसका पेट आठ महीने की प्रेग्नेंट की तरह लग रहा था। इसके साथ ही महिला यह भी नहीं चाहती थी कि उसका गर्भाशय निकाला जाए, इसलिए हिस्टेरेक्टॉमी के बजाय हमने मायोमेक्टॉमी (फाइब्रॉएड को हटाना) का विकल्प चुना।साढ़े चार घंटे तक चला ऑपरेशनअस्पताल में स्त्री रोग और प्रसूति विभाग के निदेशक और एचओडी दिनेश कंसल ने कहा कि हमने व्यवस्थित तरीके से सर्जरी की योजना बनाई। सबसे पहले उसके हीमोग्लोबिन के स्तर को 12 मिलीग्राम / डीएल तक पहुंचाया और फिर ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू की। करीब साढ़े चार घंटे तक चले ऑपरेशन में 106 फाइब्रॉएड निकाले गए। कम से कम 14 फाइब्रॉएड बहुत बड़े थे, जिनकी साइज करीब 5 से 8 सेमी के बीच थी। वहीं बाकी का आकार 0।5 से 5 सेमी तक था।2015 में भी सर्जरी से निकाले गए थे 48 फाइब्रॉएडबयान में कहा गया कि साल 2015 में भी महिला की ऐसी ही स्थिति थी और इसी बीमारी के कारण उसने अपनी बहन को भी खो दिया था। मरीज की 2015 में अस्पताल में इसी तरह की सर्जरी हुई थी और अलग-अलग आकार के 48 फाइब्रॉएड निकाले गए थे।