राजनीति / राहुल ने पूछा- टीका फ्री है तो निजी अस्पताल क्यों ले रहे पैसा; मंत्री ने दिया जवाब

देश में मुफ्त वैक्सीन की घोषणा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूछा है, "अगर वैक्सीन...फ्री है तो निजी अस्पताल...पैसा कैसे ले सकते हैं।" इस पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, "क्या आप पंजाब में अपनी ही सरकार को ट्रोल कर रहे हैं।" दरअसल पंजाब सरकार पर वैक्सीन ड्राइव के दौरान भारी मुनाफा कमाने का आरोप लगा है।

Vikrant Shekhawat : Jun 08, 2021, 02:53 PM
नई दिल्ली: बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई वैक्सीनेशन पॉलिसी का एलान करते हुए 21 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा की। इसके बाद से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमलावर हो गए। उन्होंने एक ट्वीट में सरकार से सवाल दाग दिया है कि अगर वैक्सीन फ्री है तो निजी अस्पताल पैसे क्यों ले रहे हैं। राहुल गांधी ने एक ट्वीट में लिखा- एक सीधा सा सवाल- अगर वैक्सीन सभी के लिए फ्री है तो निजी अस्पताल इसके लिए पैसे कैसे ले सकते हैं?

'अपनी ही पार्टी को ट्रोल कर रहे राहुल'

राहुल के इस सवाल पर कांग्रेस नेता हरदीप सिंह पुरी ने पलटवार किया। उन्होंने राहुल के ट्वीट का स्क्रीनशॉट साझा कर लिखा है- राहुल गांधी सबसे पूछ रहे हैं कि 'अगर वैक्सीन फ्री है तो निजी अस्पताल पैसे क्यों ले रहे हैं?' क्या ये पंजाब में अपनी ही पार्टी की सरकार को ट्रोल कर रहे हैं? गौरतलब है कि पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर कोविड वैक्सीनेशन ड्राइव के दौरान गड़बड़ी कर भारी मुनाफा कमाने के आरोप लग रहे हैं।

वैक्सीन को लेकर पंजाब सरकार पर लगे आरोप

बीते दिनों पंजाब के कोटे के तहत खरीदी गई कोवैक्सीन को निजी अस्पतालों को बेचने को लेकर राज्य  सरकार पर सवाल उठ रहे थे। आरोप है कि पंजाब सरकार ने कोविड वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीच्यूट से प्रति डोज 400 रुपये के हिसाब से वैक्सीन खरीदी थी और इसे निजी अस्पतालों को 1060 रुपये में बेच रही थी, यानी प्रति डोज 660 रुपये का फायदा। निजी अस्पताल लोगों से प्रति डोज के 1560 रुपये ले रहे यानी वो 500 रुपये और ज्यादा ले रहे हैं।  साथ ही आरोप ये वैक्सीन राज्य सरकार ने 18 से 45 साल के लोगों के लिए खरीदी थी और निजी अस्पताल अब इसे 18 साल से ज्यादा के किसी भी व्यक्ति को दे रहे हैं जिन्होंने स्लॉट बुक किया है। ऐसे समय में जब सरकारी टीकाकरण केंद्रों में टीके की कमी है, राज्य सरकार के इस कदम को मुनाफा कमाने के तौर पर देखा जा रहा था।