Vikrant Shekhawat : Nov 09, 2019, 05:25 PM
नई दिल्ली | अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया है। चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ना शुरू किया है। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता। कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा कि उन्होंने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिया वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल स्पेशल लीव पेटिशन को खारिज कर दिया है।शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिजचीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम शिया वक्फ बोर्ड की विशेष याचिका को खारिज करते हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने 1946 में फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में जाना सही नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में विवादित जमीन सरकारी जमीन के नाम पर दर्ज है।जमीन पर दावा साबित करने में मुस्लिम पक्ष नाकामकोर्ट ने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है।कोर्ट ने फैसले में कहा कि आस्था के आधार पर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता. साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि फैसला कानून के आधार पर ही दिया जाएगा।अयोध्या का फैसला: SC ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दियाउच्चतम न्यायालय ने शनिवार को राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में कहा कि निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।अयोध्या में विवादित स्थल पर बनेगा राम मंदिर, मुस्लिम पक्ष को अलग जमीन
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का फैसला किया है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है। यानी सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है। पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।
मोदी बोले- राम-रहीम भक्ति नहीं भारतभक्ति करने का समय
पीएम मोदी ने कहा है कि यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है।सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है। यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है। हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया। न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया।