Shaktikanta Das / RBI गवर्नर की US में क्रिप्टो पर चेतावनी, बताया सबसे बड़ा रिस्क

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बताया। अमेरिका के एक कार्यक्रम में उन्होंने चेतावनी दी कि क्रिप्टोकरेंसी से सेंट्रल बैंक का नियंत्रण कमजोर हो सकता है, जिससे आर्थिक अस्थिरता का खतरा है। उन्होंने इसे प्रोत्साहित करने के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समझ बनाने की आवश्यकता जताई।

Vikrant Shekhawat : Oct 27, 2024, 08:35 AM
Shaktikanta Das: ऐसे समय में जब अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मान्यता देने के लिए बड़ी मुहिम चल रही है और इसको लेकर डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क जैसे प्रमुख हस्तियों का समर्थन मिल रहा है, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का इस पर नकारात्मक रुख लेना एक बड़ा घटनाक्रम है। यह कदम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में क्रिप्टोकरेंसी को फाइनेंशियल इनोवेशन के रूप में देखा जा रहा है, वहीं शक्तिकांत दास ने इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने केवल क्रिप्टोकरेंसी के वित्तीय जोखिमों पर ही नहीं, बल्कि इसके संभावित नकारात्मक प्रभावों पर भी चेतावनी दी है।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर गवर्नर की प्रमुख चिंताएं

शक्तिकांत दास ने क्रिप्टोकरेंसी को फाइनेंशियल और मौद्रिक स्थिरता के लिए एक बड़ा जोखिम बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि इससे सेंट्रल बैंक की मुद्रा पर नियंत्रण खोने की संभावना है। उनका मानना है कि यदि क्रिप्टोकरेंसी का विस्तार इसी तरह जारी रहा, तो सेंट्रल बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति पर नियंत्रण खो सकता है, जिससे संकट के समय में आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप न केवल बैंकिंग सिस्टम प्रभावित होगा, बल्कि मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों से निपटना भी कठिन हो जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समझ की जरूरत

शक्तिकांत दास ने इस मुद्दे पर एक अंतरराष्ट्रीय समझौते की जरूरत बताई, ताकि क्रिप्टोकरेंसी के सीमापार लेनदेन पर नियंत्रण हो सके। उनका कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति के कारण इसके जोखिमों से बचने के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह राय भले ही लोकप्रिय न हो, लेकिन फाइनेंशियल स्थिरता के संरक्षक के रूप में यह कदम सभी सेंट्रल बैंकों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

सेंट्रल बैंक की मुद्रा पर नियंत्रण क्यों है जरूरी?

शक्तिकांत दास का मानना है कि संकट के समय में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सेंट्रल बैंक की होती है। अगर क्रिप्टोकरेंसी का प्रसार बढ़ता है, तो सेंट्रल बैंक मुद्रा पर अपना नियंत्रण खो सकता है, जिससे अर्थव्यवस्था में अस्थिरता बढ़ सकती है। सरकारें और सेंट्रल बैंक मौजूदा वित्तीय ढांचे को सुरक्षित रखने के लिए मौद्रिक नीतियों का उपयोग करती हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित प्रसार से बाधित हो सकता है।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वैश्विक चिंताएं

दास का यह बयान तब आया है जब दुनिया भर के सेंट्रल बैंक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर संभावित नकारात्मक परिणामों पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वित्तीय स्थिरता की सुरक्षा के लिए इस पर पाबंदियों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकारें भी क्रिप्टोकरेंसी के संभावित जोखिमों को लेकर जागरूक हो रही हैं और इसे प्रोत्साहित करने की बजाय नियंत्रित करने की दिशा में विचार कर रही हैं।

अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी के हिमायती और भारतीय रुख में अंतर

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खुलकर समर्थन कर रहे हैं, लेकिन शक्तिकांत दास का यह बयान क्रिप्टो को लेकर भारत की सतर्कता को दर्शाता है। यह संकेत है कि भारत क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित विस्तार को देश की आर्थिक स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा मानता है।

शक्तिकांत दास का यह स्पष्ट रुख बताता है कि आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने के बजाय उसे नियंत्रित और सीमित करना चाहता है। उनके विचार वैश्विक वित्तीय तंत्र को स्थिरता प्रदान करने के लिए केंद्रीय बैंक की भूमिका की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।