Reserve Bank Of India: हाल ही में जारी हुए जीडीपी आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ केवल 5.4 फीसदी रही, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा प्रक्षिप्त 7 फीसदी के मुकाबले काफी कम है। इस गिरावट के साथ ही एक नई चर्चा ने जोर पकड़ लिया है: क्या आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल फिर से बढ़ाया जाएगा?
शक्तिकांत दास के कार्यकाल का विस्तार?
आरबीआई के मौजूदा गवर्नर, शक्तिकांत दास, जिनका कार्यकाल 12 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, का कार्यकाल एक बार पहले भी बढ़ाया जा चुका है। उस समय यह फैसला एक महीने पहले ही ले लिया गया था, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दास के एक्सटेंशन की सिफारिश केंद्र सरकार की अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट के पास भेजी जा चुकी है, हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े दास के लिए मुश्किलें पैदा करेंगे और उनके कार्यकाल के विस्तार में कोई रुकावट आएगी?
क्या बनेगा अगला गवर्नर?
शक्तिकांत दास का कार्यकाल 12 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, और इस बार फिलहाल कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इस दौरान फरवरी 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस समिति के छह सदस्य होते हैं, जिनमें से तीन सदस्य आरबीआई के होते हैं। लेकिन जब दास का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा का कार्यकाल भी अगले महीने खत्म हो रहा है, तो यह भी स्पष्ट नहीं है कि अगला गवर्नर कौन होगा।
दास का बयान: “मेरे पास बहुत काम है”
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में अपने भविष्य को लेकर कोई टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि उनका ध्यान वर्तमान में आरबीआई के कामों पर है। उन्होंने ब्लूमबर्ग से बातचीत करते हुए कहा था, "मेरी टेबल पहले ही भरी हुई है, इसलिए मेरे पास वास्तव में यह सोचने का समय नहीं है कि आगे क्या करना है।" इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि दास इस समय सिर्फ अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, और वे अपने कार्यकाल के विस्तार या भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने से बचते हैं।
जीडीपी आंकड़े और भविष्य की दिशा
जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण संकेत दे रहे हैं, और यह भी सवाल खड़ा कर रहे हैं कि क्या आरबीआई की मौद्रिक नीति, जिसमें दास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, इस गिरावट के लिए जिम्मेदार है। आरबीआई का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए मौद्रिक नीति को सही दिशा में रखना होता है, और अगर जीडीपी ग्रोथ उम्मीद से कम है, तो यह आरबीआई के गवर्नर के नेतृत्व पर सवाल उठा सकता है।हालांकि, यह कहना अभी जल्दी होगा कि शक्तिकांत दास का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा या नहीं, लेकिन जो बात साफ है, वह यह है कि उनके नेतृत्व में आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कई मुश्किल हालातों से उबारा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और शक्तिकांत दास के नेतृत्व का भविष्य क्या होता है।