Shaktikanta Das News: भारत के पूर्व रिज़र्व बैंक गवर्नर, शक्तिकांत दास, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्त किए गए हैं। आरबीआई गवर्नर के रूप में छह वर्ष की सफल सेवा देने के बाद, वह दिसंबर 2023 में सेवानिवृत्त हुए थे। कुछ महीनों के भीतर ही उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। वर्तमान में प्रमोद कुमार मिश्रा (पी.के. मिश्रा) प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत हैं, और अब उनके साथ शक्तिकांत दास भी इस भूमिका में योगदान देंगे।
शक्तिकांत दास का प्रशासनिक अनुभव
शक्तिकांत दास भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 1980 बैच के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। चार दशकों से अधिक के उनके करियर में उन्होंने वित्त, कराधान, उद्योग, बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनकी दक्षता और प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए उन्हें यह नई जिम्मेदारी दी गई है।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति की मंजूरी
कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी है। समिति के आदेश के अनुसार, शक्तिकांत दास प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। वे डॉ. पी.के. मिश्रा के साथ मिलकर प्रधानमंत्री कार्यालय में अपनी भूमिका निभाएंगे।
आरबीआई गवर्नर के रूप में योगदान
दिसंबर 2018 में शक्तिकांत दास को भारतीय रिज़र्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार लागू किए और भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में आरबीआई ने विभिन्न वित्तीय नीतियों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया, जिससे बैंकिंग और आर्थिक क्षेत्र में मजबूती आई।
नई भूमिका में अपेक्षाएं
शक्तिकांत दास की नई नियुक्ति के साथ, सरकार उनसे उम्मीद करेगी कि वे प्रधानमंत्री कार्यालय में अपने अनुभव और प्रशासनिक क्षमता का पूर्ण उपयोग करें। देश के आर्थिक और नीतिगत मामलों में उनका योगदान महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। उनकी विशेषज्ञता से सरकार को वित्तीय मामलों और नीतिगत निर्णयों में लाभ मिलेगा।
शक्तिकांत दास की नियुक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार प्रशासनिक अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों को उच्च पदों पर लाकर अपने नीति-निर्माण और कार्यान्वयन को और प्रभावी बनाना चाहती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इस नई भूमिका में किस तरह अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं और देश की नीतिगत दिशा को कैसे प्रभावित करते हैं।