देश / टीकाकरण प्रमाणपत्र से पीएम की तस्वीर हटाना एक 'बहुत खतरनाक प्रस्ताव' है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर हटाने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है, "यह एक बहुत ही खतरनाक प्रस्ताव है।" कोर्ट ने आगे कहा, "कल कोई यहां आकर विरोध कर सकता है कि वह महात्मा गांधी को पसंद नहीं करते हैं...और हमारी मुद्रा से उनकी तस्वीर हटाने की मांग कर सकते हैं।"

Vikrant Shekhawat : Nov 04, 2021, 07:49 AM
तिरुवनन्तपुरम: केरल हाई कोर्ट ने कोरोना टीकाकरण प्रमाणपत्रों पर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो हटाने की मांग करने वाली याचिका पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि फोटो को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट से हटाने की याचिका एक बहुत ही खतरनाक प्रस्ताव है। जस्टिस एन नागरेश ने यह टिप्पणी तब की जब कोट्टायम के पीटर मायालीपराम्बिल की ओर से प्रमाण पत्र में पीएम की तस्वीर को चित्रित करने के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई के लिए आई थी।

दरअसल, याचिकाकर्ता का आरोप था कि वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट उसका निजी स्थान है, और उस पर उसके कुछ अधिकार हैं। एम पीटर के मुताबिक कोविड सर्टिफिकेट नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

केरल हाई कोर्ट ने कही ये बात

जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि 'यह एक बहुत ही खतरनाक प्रस्ताव है। कल कोई यहां आकर विरोध कर सकता है कि वे महात्मा गांधी को पसंद नहीं करते हैं और हमारी करेंसी से उनकी तस्वीर को हटाने की मांग कर सकते हैं। ये कहते हुए कि यह उनका खून और पसीना है और वे उनका चेहरा इस पर नहीं देखना चाहते हैं। तब क्या होगा?'

वकील ने दिया यह तर्क

तब वकील ने जवाब दिया कि महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार मुद्रा पर छपी थी, जबकि प्रधानमंत्री की तस्वीर किसी वैधानिक प्रावधान के आधार पर नहीं लगाई गई थी। वहीं केंद्र सरकार के वकील ने मामले में बयान दाखिल करने के लिए और समय मांगा। अब अदालत ने इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को तय की है।

'पीएम की तस्वीर का कोई फायदा नहीं'

आपको बता दें कि याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र पर प्रधानमंत्री की तस्वीर का कोई फायदा नहीं है। यह केवल एक व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति की पुष्टि करने के लिए जारी किया गया एक प्रमाण पत्र है। ऐसे प्रमाणपत्र में प्रधानमंत्री की तस्वीर की कोई प्रासंगिकता नहीं है जैसा कि अन्य देशों द्वारा जारी किए गए ऐसे प्रमाणपत्रों से देखा जा सकता है।