Vikrant Shekhawat : Sep 04, 2024, 03:15 PM
Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक के सातवें दिन, भारत के सचिन खिलारी ने पुरुषों के शॉट पुट एफ46 कैटेगिरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता। यह दिन का पहला मेडल था और भारतीय पैरालंपिक इतिहास में 40 साल बाद शॉट पुट में हासिल किया गया पहला मेडल है। 1984 में भारत को इस इवेंट में पहला मेडल मिला था।34 वर्षीय सचिन ने अपने दूसरे प्रयास में 16.30 मीटर की दूरी तक थ्रो कर एशियाई रिकॉर्ड तोड़ा, जो उन्होंने पहले वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 में सेट किया था। इस प्रदर्शन के साथ, भारत की मेडल की संख्या 21 तक पहुंच गई है।कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने गोल्ड मेडल जीता, जबकि क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। एफ46 कैटेगिरी में प्रतिस्पर्धा करने वाले एथलीटों के हाथों में कमजोरी या मांसपेशियों की कमी होती है, और उन्हें खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करनी होती है।सचिन खिलारी, जिन्होंने पिछले साल एशियन पैरा गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था, शॉट पुट में मेडल जीतने वाले तीसरे भारतीय एथलीट बने। इससे पहले 1984 में जोगिंदर सिंह बेदी और 2016 में दीपा मलिक ने शॉट पुट में मेडल जीते थे।सचिन का यह सिल्वर मेडल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और देश की पैरालंपिक खेलों में नई ऊचाई को दर्शाता है।एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए जीता मेडल34 वर्षीय खिलारी ने अपने दूसरे प्रयास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 16.30 मीटर का अपना ही एशियाई रिकार्ड तोड़ा। उन्होंने ये रिकॉर्ड मई 2024 में जापान में हुई वर्ल्ड पैरा-एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतते हुए बनाया था। खिलारी का सिल्वर मेडल मौजूदा पैरा गेम्स में पैरा-एथलेटिक्स में आया 11वां मेडल है। उन्होंने पिछले साल चीन में हुए एशियन पैरा गेम्स में भी गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था। F46 कैटेगिरी उन एथलीटों के लिए है जिनके हाथ में कमजोरी, कमजोर मसल्स या हाथों के मूवमेंट में कमी होती है। इसमें एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं। शॉट पुट में आया तीसरा मेडलसचिन खिलारी पैरालंपिक के इतिहास में शॉट पुट में मेडल जीतने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय एथलीट हैं। इससे पहले 1984 में जोगिंदर सिंह बेदी ने ब्रॉन्ज मेडल और महिला एथलीट दीपा मलिक ने 2016 रियो पैरालंपिक में जीता था। अब 8 साल बाद ये तीसरा मेडल आया है।