Cricket / पहली बार Rihanna के समर्थन में उतरा भारत का कोई खिलाड़ी, जानिए कौन है वो

जहां पूरा देश रिआना के ट्वीट का विरोध कर रहा है, उसी बीच सनराइजर्स हैदराबाद के गेंदबाज संदीप शर्मा ने ट्वीट कर रिआना का समर्थन करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। संदीप ने एक लंबे ट्वीट के साथ कहा, 'इस हिसाब से तो किसी को भी एक-दूसरे की परवाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर स्थिति किसी न किसी का अंदरूनी मामला ही होती है। हालांकि बाद में संदीप ने अपने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।'

Cricket: इंटरनेशनल पॉप स्टार रिआना (Rihanna) ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को अपना समर्थन दिया और पूछा कि लोग इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं। रिआना (Rihanna) ने ट्विटर पर अपनी बात रखी, जिसके बाद भारत की बड़ी-बड़ी हस्तियों ने उनको करारा जवाब देते हुए कहा कि ये भारत का अंदरूनी मामला है। लेकिन इसी बीच भारतीय तेज गेंदबाज संदीप शर्मा (Sandeep Sharma) ने रिहाना के स्पोर्ट में नजर आए हैं।   

क्या बोलीं रिआना?

32 वर्षीय पॉप स्टार रिआना (Rihanna) ने दिल्ली के पड़ोसी राज्य हरियाणा के कई जिलों में इंटरनेट बंद होने पर एक न्यूज वेबसाइट की खबर को शेयर करते हुए किसानों का पक्ष लिया है। रिआना ने लिखा, 'हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?' इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट में #FarmersProtest को भी दर्ज किया है। 

समर्थन में उतरे संदीप

जहां पूरा देश रिआना के ट्वीट का विरोध कर रहा है, उसी बीच सनराइजर्स हैदराबाद (Sunrisers Hyderabad) के गेंदबाज संदीप शर्मा (Sandeep Sharma) ने ट्वीट कर रिआना का समर्थन करते हुए गंभीर सवाल उठाए हैं। संदीप ने एक लंबे ट्वीट के साथ कहा, 'इस हिसाब से तो किसी को भी एक-दूसरे की परवाह नहीं करनी चाहिए क्योंकि हर स्थिति किसी न किसी का अंदरूनी मामला ही होती है। हालांकि बाद में संदीप ने अपने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था।'

कई देशों के हालात का दिया उदाहरण 

संदीप शर्मा (Sandeep Sharma) ने रिआना के सपोर्ट में ट्वीट करते हुए एक लंबे संदेश वाला फोटो भी पोस्ट किया है। उस फोटो में कई देशों के हालत के अलग-अलग उदाहरण हैं। उस फोटो के माध्यम से संदीप ने कहा, 'इस तर्क के हिसाब से, जर्मनी के बाहर किसी को भी नाजी युग के दौरान जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न की आलोचना नहीं करनी चाहिए थी। इस तर्क से, पाकिस्तान के बाहर किसी को भी पाकिस्तान में अहमदियों, हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों के उत्पीड़न की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इस तर्क से भारत के बाहर किसी को भी भारत में मुसलमानों पर हुए अत्याचारों और अन्य अत्याचारों या 1984 में सिखों के नरसंहार की आलोचना नहीं करनी चाहिए थी।'