Vikrant Shekhawat : Sep 16, 2020, 10:39 PM
न्यूज हेल्पलाइन - 16 सितंबर, 2020 | संजय मिश्रा अक्सर अपनी सिंगल लीड फिल्म में इमोशनल कनेक्शन के साथ दर्शकों को मनोरंजीत तो करते ही हैं साथ ही कुछ ना कुछ सीख भी देते है। चाहे वह फिल्म कामयाब, आंखो देखी, एक्कीस तारीख, अंग्रेजी में कहते हैं, या 2017 में आई फिल्म 'कड़वी हवा' ही क्यों ना हो। इन हर फिल्मों में संजय ने कुछ ना कुछ सीख दी ही हैं।आज संजय ने 2017 में रिलीज हुई फिल्म 'कड़वी हवा' जो की क्लाइमेट चेंज पर आधारित है उसके कुछ फोटो शेयर किए। जिसमें किसान का किरदार निभा रहें संजय सूखे/अकाल के कारण परेशान और दुखी नजर आ रहे हैं। संजय की इस फिल्म ने बुंदेलखंड की रियल कहानी को दर्शाया हैं। साथ ही राजस्थान और ओडिशा के अकाल से परेशान गांवों के उजड़ने की कहानी बताई।इसी अकाल का सबसे बड़ा कारण प्राकृतिक संसाधनों में छेड़छाड़ करने, प्रदूषण बढ़ने और पेड़-पौधों की कमी हैं। जिसका असर ओजोन परत पर भी पड़ता हैं और यहीं वजह है कि दोबारा लोगों को प्रर्यावरण संरक्षण की बातें याद दिलाते हुए संजय ने इंस्टा स्टोरी पर आज 'वर्ल्ड ओजोन डे' के दिन अपनी फिल्म 'कड़वी हवा' के फोटो शेयर किए और हैशटैग ओजोन लेयर लिखा।हाल ही में संजय मिश्रा ने फैंस को अपनी अपकमिंग फिल्म पूरी होनी की जानकारी दी थी। संजय मिश्रा अपनी अपकमिंग फिल्म 'वो 3 दिन' के लिए तैयार हैं। संजय ने इंस्टा अकाउंट पर फिल्म के पोस्टर को शेयर किया था और जल्द रिलीज होने की जानकारी दी थी।इस फिल्म में संजय मिश्रा के साथ साथ पाताललोक और एम.एस धोनी फिल्म में नजर आनेवाले राजेश शर्मा और कमीने, फालतू एंव जबरीया जोड़ी जैसी फिल्म में नजर आए चंदन राय सानयाल लीड रोल में होंगे। वहीं पोस्टर में तीनों एक्टर रेलवे पटरी पर बैठे हुए दिखे। संजय देसी अंदाज में गमछा और पायजामा में, संजय शर्ट-पैंट में और चंदन सुट-बूट पहने बैठे हुए नजर आए।वैसे आपको जानकारी दें दे, आज 16 सिंतबर के दिन 'वर्ल्ड ओजोन डे' मनाया जाता है। ओजोन परत पृथ्वी को सूरज की किरणों से निकल रहें यूवी किरणों से संरक्षण करने में मदद करता है। जिसके कारण पृथ्वी को नुक्सान पहुंचाने वाली यह किरणें ओजोन परत के जरिए पृथ्वी पर नहीं आ पाती। पर धरती पर हो रहें प्रदूषण और पेड़ो की कमी के कारण ओजोन परत में छिद्र हो जाते हैं और सुरज की यूवी किरणों इन छिद्र से धरती पर आती हैं जिससे स्कीन इंफेक्शन और अम्लीय वर्षा होती हैं और खेती के लिए उपजाऊ जमीन बंजर हो जाती है। इन सबके संरक्षण के लिए प्रदूषण को नियंत्रण में रखना और पेड़-पौधों को अधिक से अधिक लगाने की आवश्यकता है।