Vikrant Shekhawat : Jan 08, 2024, 11:14 AM
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो के दोषियों को फिर से सलाखों के पीछे जाना होगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है. उसने गुजरात सरकार के दोषियों की रिहाई के फैसले को पलट दिया है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित की याचिकाओं को मंजूरी प्रदान कर दी है. जनहित याचिकाओं को भी मंजूरी मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एक महिला सम्मान की पात्र है. चाहे उसे समाज में कितना भी नीचा क्यों न समझा जाए या वह किसी भी धर्म को मानती हो.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार सजा में छूट पर गौर करने के लिए सक्षम है. यह शक्ति संसद ने राज्य सरकार को दी. इस मामले में ट्रायल दूसरे राज्य में स्थानांतरित किया गया. यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया गया. सजा में छूट को रद्द किया जाता है.छूट के आदेश पारित करने के लिए गुजरात सरकार की क्षमता पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उपयुक्त सरकार को छूट के आदेश पारित करने से पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी. इसका मतलब है कि घटना का स्थान या दोषियों की कारावास की जगह छूट के लिए प्रासंगिक नहीं है. गुजरात सरकार की परिभाषा अन्यथा है. सरकार का इरादा यह है कि जिस राज्य के तहत दोषी पर मुकदमा चलाया गया और सजा सुनाई गई, वह उचित सरकार थी. इसमें मुकदमे की जगह पर जोर दिया गया है, न कि जहां अपराध हुआ.अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौतीअगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. रिहाई का विरोध करते हुए बिलकिस बानो के वकील ने कहा था कि वो सदमे से उबर भी नहीं पाई हैं और दोषियों को रिहा कर दिया गया. हालांकि दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है, लेकिन ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बने.