Dainik Bhaskar : Dec 03, 2019, 12:37 PM
नई दिल्ली | अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा मिल गया है। नासा ने मंगलवार सुबह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर स्थित सतह की तस्वीरें जारी कीं। चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर 7 सितंबर को इसी जगह पर तेज गति से टकराया था और उसके टुकड़े करीब एक किलोमीटर के इलाके में फैल गए थे। नासा ने इस खोज का श्रेय चेन्नई के 33 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम (शान) को दिया है। शनमुग ने तड़के 4 बजे नासा से मिला मेल देखामंगलवार को शनमुग के दिन की शुरुआत नासा से मिले एक ई-मेल से हुई। उन्होंने यह ई-मेल तड़के करीब चार बजे देखा। नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर मिशन (एलआरओ) के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने शान को ई-मेल भेजा था। इसमें नासा ने शान को विक्रम लैंडर का मलबा खोजने की सूचना देने के लिए धन्यवाद देते हुए लिखा था, ‘एलआरओ टीम ने आपकी खोज की पुष्टि की है। आपके द्वारा सूचना दिए जाने के बाद हमारी टीम ने उस स्थान की विस्तृत छानबीन की तो लैंडर के चंद्रमा की सतह से टकराने के स्थान व उसके आसपास बिखरे टुकड़ों को ढूंढ लिया। नासा इसका श्रेय आपको देता है। पक्के तौर पर इस खोज के लिए आपको बहुत सारा समय व प्रयास करना पड़ा होगा। हालांकि इस बारे में आपसे संपर्क करने में देरी के लिए क्षमा चाहते हैं, लेकिन सब कुछ सुुनिश्चित करने के लिए ज्यादा समय की जरूरत थी।अब प्रेस आपसे इस खोज के बारे में पूछताछ करेगी।’इस ई-मेल को पढ़ने के बाद शनमुग की खुशी का ठिकाना नहीं था। खुद को रमणियन (रमण का प्रशंसक) मानने वाले शनमुग सुब्रमण्यम ने तुरंत ट्विटर अकाउंट पर नासा से आए पत्र को ट्वीट किया और ट्विटर हैंडल पर अपने स्टेटस में जोड़ दिया-‘आई फाउंड विक्रम लैंडर’।शनमुग ने बताया कि “अगर विक्रम लैंडर ठीक से चंद्रमा की सतह पर उतर जाता और कुछ तस्वीरें भेज देता तो शायद चंद्रमा में इतनी रुचि न बढ़ती, लेकिन विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग ने उसमें दिलचस्पी बढ़ा दी। नासा ने 17 सितंबर को इस लोकेशन की पिक्चर जारी की। वह 1.5 जीबी की थी। मैंने उसे डाउनलोड किया। शुरुआत में मैंने रैंडमली छानना शुरू किया तो बार-बार लगा कि यहां है, वहां है, लेकिन वह सही नहीं था, क्योंकि मैं जिसे लैंडर मान रहा हूं वह बोल्डर भी हो सकते थे। बाद में मैंने इसरो के लाइव टेलीमेट्री डेटा के मुताबिक विक्रम लैंडर की अंतिम गति और स्थिति के हिसाब से करीब दो गुणा दो वर्ग किलोमीटर संभावित क्षेत्र की पिक्सल बाय पिक्सल स्कैनिंग की। यहां यह भी समझ लें कि नासा के एलआरओ कैमरे की क्षमता 1.3 मीटर प्रति पिक्सल की है। यानी वह 1.3 मीटर की तस्वीर एक बिंदी के रूप में ले सकता है।”16 दिन तस्वीरों को छाना, फिर चमकीला बिंदु दिखा : शनमुगशनमुग बताते हैं, “17 सितंबर से अक्टूबर की शुरुआत तक हर रोज मैंने करीब 4 से 6 घंटे प्रति दिन रात को तस्वीरों को छाना। मुझे प्रस्तावितत लैंडिंग साइट से करीब 750 मीटर दूर एक सफेद बिंदु दिखा जो लैंडिंग की तय तिथि से पहले की तस्वीर में वहां नहीं था। उसकी चमक ज्यादा थी। तब मुझे 3 अक्टूबर को अंदाजा हुआ कि यह विक्रम का ही टुकड़ा है। मैंने ट्वीट किया कि शायद इसी स्थान पर विक्रम चंद्रमा की मिट्टी में धंसकर दफन हो गया है। नासा के कुछ वैज्ञानिकों को भी मैंने यही जानकारी चंद्रमा की सतह के कोऑर्डिनेट के साथ विस्तार से ई-मेल पर भेजी।”शनमुग कहते हैं, “मुझे पक्का भरोसा था कि मैंने जो ढूढ़ा है, उसकी एक न एक दिन पुष्टि अवश्य होगी। नासा ने एलआरओ से 11 नवंबर को इस साइट की नई तस्वीरें आने के बाद ठीक इसी स्थान की दिसंबर, 2017 में ली गई तस्वीरों के साथ गहराई से पड़ताल की तो मेरी खोज को सही पाया और मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि उन्होंने मुझे इसका क्रेडिट भी दिया। मैं मलबे के केवल एक टुकड़े की पहचान कर पाया था, लेकिन नासा ने तीन टुकड़े ढूढ़े हैं और क्रैश लैंडिंग से पहले और बाद की तस्वीर जारी करके चंद्रमा की सतह पर आए फर्क को भी दिखाया है।”‘मंगल पर जाना चाहते हैं तो चंद्रमा पर बेस स्टेशन होना चाहिए’कम्प्यूटर प्रोग्रािमंग और एप बनाने में रुचि रखने वाले शनमुग कहते हैं कि स्पेस में उनकी गहरी रुचि है। वे कहते हैं कि नासा और चंद्रयान का इतना सारा डेटा पब्लिक डोमेन में उपलब्ध है कि चंद्रमा का डिटेल मैप तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यदि हम मंगल पर जानेे का सपना देखते हैं तो चंद्रमा पर एक बेस स्टेशन होना चाहिए। इसके लिए हमें अभी चंद्रमा को बहुत कुछ खंगालने की जरूरत है। मेरा सपना तो यह है कि एक ऐसा स्पेसक्राफ्ट हो जो एयरोप्लेन की तरह चंद्रमा की सतह पर लैंड कर सके।”नासा ने लैंडिंग साइट की तस्वीरों के साथ शान को दिया खोज का श्रेयमंगलवार को नासा ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर जारी की, जिसमें हरे रंग के बिंदुओं के जरिए विक्रम के मलबे को दर्शाया। नीले बिंदुओं में विक्रम के टकराने के बाद सतह पर आए फर्क को दिखाया है, जबकि एस लिखकर उस स्थान के बारे में बताया है जहां शनमुग सुब्रमण्यम ने मलबे की पहचान की। नासा के एलआरओ ने 17 सितंबर और 14 अक्टूबर को दो बार उस स्थान से गुजरते हुए तस्वीरें ली थीं, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका था। शनमुग से मिली जानकारी के बाद नासा ने विक्रम लैंडर को ढूढ़ लिया।