Vikrant Shekhawat : Oct 27, 2020, 09:13 AM
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा को बड़ी कामयाबी मिली है। नासा ने चंद्र सतह पर पानी पाए जाने का दावा किया है। इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (एसओएफआईए) के लिए नासा के स्ट्रैटोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी ने पुष्टि की है कि यह पहली बार है जब चंद्र सतह पर सूरज की किरणों के क्षेत्र में पानी की खोज की गई है। यह खोज यह स्पष्ट करती है कि पानी चंद्र सतह पर वितरित किया जा सकता है, और केवल ठंडे या छायादार स्थानों तक सीमित नहीं है। एसओएफआईए ने क्लैवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (एच 2 ओ) का पता लगाया है, जो पृथ्वी से सबसे बड़े दिखाई देने वाले गड्ढों में से एक है, जो चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित है।
चंद्र सतह के अंतिम अवलोकन के दौरान हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता लगाया गया था, लेकिन यह पानी और इसके निकटतम रासायनिक पदार्थ हाइड्रॉक्सिल (OH) के बीच अंतर करने में असमर्थ था। इस स्थान से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पानी का पता 100 मिलियन से 412 भागों प्रति मिलियन की सांद्रता में लगाया जाता है और यह चंद्र सतह पर फैली मिट्टी के घन (घन) मीटर में फंसी लगभग 12 औंस पानी की बोतल के बराबर है। यह खोज नेचर एस्ट्रोनॉमी के नए संस्करण में प्रकाशित हुई है।वाशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में खगोल भौतिकी विभाग के निदेशक पॉल हर्ट्ज़ ने कहा, "हमें एच 2 ओ के संकेत मिले कि हम पानी के रूप में जानते हैं और चंद्रमा की ओर सूर्य पर मौजूद हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि अब हम जानते हैं कि यह वहां है। यह खोज चंद्र सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रासंगिक संसाधनों के बारे में पेचीदा प्रश्न उठाती है।🌔 ICYMI... using our @SOFIATelescope, we found water on the Moon's sunlit surface for the first time. Scientists think the water could be stored inside glass beadlike structures within the soil that can be smaller than the tip of a pencil. A recap: https://t.co/lCDDp7pbcl pic.twitter.com/d3CRe96LDm
— NASA (@NASA) October 26, 2020