Manipur Violence News / मणिपुर में 3 की मौत के बाद इंफाल में तनाव- पहाड़ों से फायरिंग जारी, भीड़ ने किए कई रास्ते जाम

मणिपुर में सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच पिछले 24 घंटे से झड़प जारी है। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। ये हिंसक झड़प टेराखोंगसांगबी कांगवे और थोरबुंग में हुई हैं। यह इलाका कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है, जो बफर जोन कहलाता है। मृतकों की पहचान युमनम जितेन मैतेई (46), युमनम पिशाक मैतेई (67) और युमनम प्रेमकुमार मैतेई (39) के रूप में की गई है, जो सभी क्वाक्टा लामल्हाई के रहने वाले हैं। हमलावर बफर जोन क्रॉस करने की

Vikrant Shekhawat : Aug 05, 2023, 02:04 PM
Manipur Violence News: मणिपुर में सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच पिछले 24 घंटे से झड़प जारी है। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। ये हिंसक झड़प टेराखोंगसांगबी कांगवे और थोरबुंग में हुई हैं। यह इलाका कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है, जो बफर जोन कहलाता है। मृतकों की पहचान युमनम जितेन मैतेई (46), युमनम पिशाक मैतेई (67) और युमनम प्रेमकुमार मैतेई (39) के रूप में की गई है, जो सभी क्वाक्टा लामल्हाई के रहने वाले हैं। हमलावर बफर जोन क्रॉस करने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षाबलों ने जब रोका तो इनके बीच झड़प हो गई। इस दौरान फायरिंग भी की गई। सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी।

तीन लोगों की मौत के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया। थोरबंग एरिया में पहाड़ों से सुबह से फायरिंग हो रही है। मोर्टार से भी हमला किया गया। भीड़ ने कई रास्ते जाम कर दिए हैं।

मणिपुर में 3 बड़ी घटनाएं...

महिलाओं का प्रदर्शन, पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे

तीन दिन पहले मैतेई महिलाओं (मीरा पाइबीज) और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई थी, तब सुरक्षाबलों ने महिलाओं को हटाने के लिए स्मोक बॉम्ब और टियर शेल्स छोड़े थे और हवाई फायरिंग की थी।

महिलाओं के पीछे हटने के बाद सैंकड़ों हथियार बंद लोगों ने मोर्चा संभाल लिया था और आशंका जताई जा रही थी कि सुरक्षाबलों और हथियारबंद लोगों के बीच गन फाइट हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक हाल में हुई मौतें इसी गनफाइट का नतीजा हैं।

इलाके में अभी भी फायरिंग जारी है।

इंफाल वेस्ट में एक पुलिसकर्मी की मौत

इंफाल वेस्ट पर उग्रवादियों की गोली लगने से एक पुलिसकर्मी ऋषि की मौत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, पहाड़ी इलाके से एक स्नाइपर ने निशाना लगाकर पुलिसकर्मी के सिर में गोली मारी थी।

भीड़ ने लूटे 20 हजार से ज्यादा कारतूस

3 अगस्त को मणिपुर में भीड़ ने दो थानों पर हमला कर दिया था। भीड़ ने मोइरंग थाने पर हमला कर 685 हथियार और लगभग 20 हजार से ज्यादा कारतूस लूट लिए।

लूटे गए हथियारों में AK-47, इंसास राइफल्स, हैंड गन, मोर्टार, कार्बाइन, हैंडग्रेनेड और बम शामिल हैं। भीड़ ने बिष्णुपुर के ही नारानसेना थाने पर भी हमला किया, लेकिन यहां से लूटे गए हथियारों का ब्योरा जारी नहीं हुआ है।

मणिपुर में अब तक 4,000 हथियार और एक लाख से अधिक कारतूस विभिन्न पुलिस थानों और आर्मरी से लूटे जा चुके हैं, 1,600 हथियार ही वापस हुए है।

कुकी महिलाओं ने जवानों के पैर पकड़े, न जाने की गुहार लगाई

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। इस बीच एक वीडियो सामने आया जिसमें कंग्पोक्पी जिले से असम राइफल्स को हटाने पर कुकी महिलाओं ने जवानों के पैर पकड़ लिए। महिलाओं की गुहार थी कि आप चले गए तो हम मारे जाएंगे। बाद में असम राइफल्स को हटाने का आदेश निरस्त कर दिया गया।

कर्नाटक में मणिपुर हिंसा के विरोध में प्रदर्शन शुक्रवार को बेंगलुरु में मणिपुर हिंसा और महिलाओं पर हुए अत्याचार की निंदा करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ बेंगलुरु में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया।

पुलिस ने 129 चौकियां बनाईं, 1000 से ज्यादा हिरासत में

मणिपुर के पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में कुल 129 चौकियां बनाई गई हैं। पुलिस ने कहा कि हिंसा के अलग-अलग मामलों में 1,047 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

मणिपुर में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। हिंसा को 91 दिन बीत चुके हैं मगर हालात अभी भी सामान्य नहीं है। हिंसा में अब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक हजार से ज्यादा लोग घायल हैं।

हिंसा के बीच विधानसभा सत्र बुलाने की मांग

मणिपुर कैबिनेट ने शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके को 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की सिफारिश की। पिछला विधानसभा सत्र मार्च में हुआ था और मई में राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। इससे पहले कांग्रेस के 5 विधायकों ने भी जुलाई में राज्यपाल उइके से राज्य में चल रही उथल-पुथल पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने का आग्रह किया था।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह...

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद:

मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है:

मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं:

बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं:

मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।