Electric Vehicles: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में इसका शानदार प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में इस क्षेत्र की जबरदस्त संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ईवी सेक्टर में 2023 तक लगभग
5 करोड़ नई नौकरियों का सृजन होगा। इसके अलावा, 2030 तक भारतीय ईवी बाजार की क्षमता
20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
ईवी सेक्टर: आर्थिक विकास का स्तंभ
गडकरी ने बताया कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन वित्त बाजार का आकार लगभग
4 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। यह केवल पर्यावरणीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
वायु प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन की चुनौती
परिवहन क्षेत्र भारत में लगभग
40% वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। साथ ही, देश हर साल
22 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन का आयात करता है, जो एक बड़ी आर्थिक चुनौती है। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत हरित ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
हरित ऊर्जा पर जोर
गडकरी ने कहा कि भारत की
44% बिजली की खपत सौर ऊर्जा से पूरी होती है। देश हरित ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि सौर ऊर्जा, हाइड्रो पावर और बायोमास से ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहा है। इस दिशा में
इलेक्ट्रिक बसों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि भारत को वर्तमान में
1 लाख इलेक्ट्रिक बसों की आवश्यकता है, लेकिन घरेलू उत्पादन क्षमता केवल 50,000 बसों की है। उन्होंने उद्योग जगत से अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का आग्रह किया।
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का विस्तार
गडकरी ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की प्रगति का उल्लेख करते हुए बताया कि 2014 में यह उद्योग
7 लाख करोड़ रुपये का था, जो अब
22 लाख करोड़ रुपये का हो चुका है। भारत अब जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार बन चुका है। अमेरिका और चीन के बाद भारत का स्थान है।
उद्योग जगत के लिए अपील
गडकरी ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से
इलेक्ट्रिक वाहनों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह समय कारखानों के विस्तार और हरित ऊर्जा के उपयोग में तेजी लाने का है।
निष्कर्ष
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार न केवल आर्थिक विकास को नई ऊंचाई देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकारी प्रयासों और उद्योग की सहभागिता से यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में नई उपलब्धियां हासिल करेगा।