अब हिंद महासागर में घुसपैठ की फिराक में चीन / ड्रैगन के नापाक मंसूबे पर पानी फेरने को तैयार भारतीय नौसेना

चालबाज चीन के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए भारत ने पानी के भीतर भी अपनि निगेहबानी तेज कर दी है। भारतीय सेना के बाद अब नौसेना ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने और उसकी महत्वकांक्षाओं को ध्वस्त करने के लिए तैयारी कर ली है। भारत-चीन सीमा विवाद के बीच इंडियन नेवी ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी निगरानी और गतिविधियों को बढ़ा दिया है।

Live Hindustan : Jul 29, 2020, 07:50 AM
Delhi: चालबाज चीन के मंसूबे पर पानी फेरने के लिए भारत ने पानी के भीतर भी अपनि निगेहबानी तेज कर दी है। भारतीय सेना के बाद अब  नौसेना ने भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने और उसकी महत्वकांक्षाओं को ध्वस्त करने के लिए तैयारी कर ली है। भारत-चीन सीमा विवाद के बीच इंडियन नेवी ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी निगरानी और गतिविधियों को बढ़ा दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन वैश्विक शक्ति बनने की कोशिश में अनिवार्य रूप से इस क्षेत्र में घुसने की कोशिश करेगा, क्योंकि चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता रहा है। यह जानकारी इस मामले से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी ने दी है। 

हिंद महासागर में चीन की घुसपैठ की कोशिशों के परिदृश्य को देखते हुए और आने वाले हालात से निपटने के लिए भारत आईओआर - मालदीव, मॉरीशस, सेशेल्स और मेडागास्कर में पड़ोसियों तक पहुंचा है, ताकि चीन को अधिक आधार बनाकर क्षेत्र में अपने उसके विस्तार करने के मंसूबे से रोका जा सके। 

नाम जाहिर न होने देने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि यह अपरिहार्य है कि अगर चीन वैश्विक शक्ति बनना चाहता है तो चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी-नेवी (पीएलएएन यानी चीनी नौसेना) आईओआर यानी हिंद महासागर क्षेत्र में आ जाएगा। ये चीनी सेना मलक्का दुविधा (चीन की रणनीतिक कमजोरी) को दूर करने के लिए हिंद महासागर में कई रास्ते खोल रहे हैं। 

यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब लद्दाख के पूर्वी हिस्से में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव जारी है। पूर्वी लद्दाख में जहां भारतीय और चीनी सेना तनावपूर्ण सीमा पर टकराव की स्थिति में लंबे समय से है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पर दोनों ओर से सेना का पीछे हटना अब भी चुनौती है। वहीं चीन दक्षिण चीन सागर में सैन्यीकरण कर रहा है।

दरअसल, चीन को लंबे समय से एक ‘मलक्का दुविधा‘ का डर सता रहा है, जो एक ऐसी स्थिति या संकट है जिसमें किसी देश की ऊर्जा तक मुख्य पहुंच को किसी दुश्मन देश द्वारा प्रायद्वीपीय मलेशिया और इंडोनेशिया (सुमात्रा प्रायद्वीप) के संकीर्ण जलडमरूमध्य के बरास्ते काट दिया जाता है। चीन के तेल आयात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (80% से अधिक) हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर को जोड़ने वाली जलडमरूमध्य से गुजरता है।

एक अन्य नेवी अधिकारी ने नाम न जाहिर होने की शर्त पर कहा कि चीन ने हिंद महासागर में प्रवेश करने के लिए मलक्का के दक्षिण में मुंडा, लोम्बोक, ओम्बाई और वेटार जलडमरूमध्य को शामिल करने के लिए कई मार्गों की तलाश की है।

पूर्व नौसेना प्रमुख एजमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि यह एक वास्तविकता है कि एक बार एक निश्चित सीमा पार करने पर चीनी नौसेना हिंद महासागर में तैनात होगा। फिलहाल के लिए, यह दक्षिण चीन सागर के लिए काफी अच्छा है।

भारत, दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक कदमों पर लगातार पैनी नजर रख रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा है कि चीनी नौसेना हिंद महासागर में अपनी पेशी न करे, जहां युद्ध के लिए पहले से ही तैयार भारतीय युद्धपोत किसी भी असामान्य गतिविधि के लिए चौबीसों घंटे निगरानी कर रहे हैं।

पिछले एक महीने में भारतीय नौसेना ने भारत-चीन सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में यूएसएस निमित्ज के नेतृत्व में एक अमेरिकी नौसेना समूह के साथ संयुक्त अभ्यास किया है और भारतीय और जापानी युद्धपोतों ने हिंद महासागर में अभ्यास किया है।