कोरोना वायरस / चीन को सबक सिखाएगी दुनिया, 'भविष्‍य की राह' दिखा रहा भारत

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में कसा हुआ है। भारत के लिए भी ये चुनौती भरा वक्त है लेकिन इस चुनौती में एक अवसर भी छिपा हुआ है। वो अवसर है चीन से वैश्विक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब का दर्जा वापस लेने का । जानकार मानते हैं कि जब कोरोना महामारी नियंत्रण में आ जाएगी तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई अवसर छोड़कर जाएगी ।

Zee News : Apr 30, 2020, 09:08 AM
दिल्ली:  कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने शिकंजे में कसा हुआ है। भारत के लिए भी ये चुनौती भरा वक्त है लेकिन इस चुनौती में एक अवसर भी छिपा हुआ है। वो अवसर है चीन से वैश्विक मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब का दर्जा वापस लेने का । जानकार मानते हैं कि जब कोरोना महामारी नियंत्रण में आ जाएगी तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई अवसर छोड़कर जाएगी । क्योंकि जो अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां इस वक्त चीन में हैं, उनके बीच चीन से निकलने की सोच, मजबूत होती जा रही है । जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया जैसे कई देश, जो चीन पर हद से ज्यादा निर्भर हैं, वो चीन से बाहर निकलना चाहते हैं और भारत की तरफ रुख कर रहे हैं ।

1000 कंपनियां भारत आने की बना रहीं योजना

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में इस वक्त काम कर रहीं करीब एक हजार अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अब भारत को अपना नया ठिकाना बनाने की योजना बना रही हैं। करीब तीन सौ कंपनियों ने तो भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने की पूरी तैयारी भी कर ली है और इसे लेकर भारत सरकार से बातचीत भी काफी आगे बढ़ चुकी है। जिनमें प्रमुख तौर से मोबाइल फोन, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, मेडिकल उपकरण, टेक्‍सटाइल्‍स और सिंथेटिक फैब्रिक्‍स जैसे सेक्‍टरों वाली कंपनियां शामिल हैं।

चीन से अपना व्यापार समेटकर भारत में यूनिट लगाने की इच्छुक इन कंपनियों की सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं जैसे कि जानी-मानी आई-फोन निर्माता APPLE की सहयोगी कंपनी विस्ट्रॉन कॉरपोरेशन। इसी तरह iPhones को असेंबल करने वाली ताइवान की कंपनी पेगाट्रोन भी इच्‍छुक दिखती है। इनमें दक्षिण कोरिया की दो लौह एवं इस्‍पात कंपनियां-हुंडई स्‍टील और पॉस्को, अमेरिका की इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और टेक्‍नोलॉजी कंपनी टेलिडाइन और वहीं की मेडिकल उपकरण और फार्मास्‍युटिकल जॉनसन एंड जॉनसन के नाम भी शामिल हैं।

चीन से भारत आने में सबसे ज्यादा उत्सुकता दक्षिण कोरिया की कंपनियां दिखा रही हैं जिनकी तरफ से काफी ज्यादा आवेदन आ रहे हैं । जापान ने तो अपनी कंपनियों को चीन से बाहर अन्य देशों में यूनिटें और फैक्ट्रियां लगाने के लिए दो बिलियन डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये की मदद का ऐलान भी कर दिया है ।