महाराष्ट्र / प्यार के इज़हार के लिए विवाहित महिला पर चिट फेंकना उसकी इज़्ज़त से खिलवाड़ है: बॉम्बे एचसी

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान कहा है कि प्यार के इज़हार के लिए किसी विवाहित महिला पर चिट फेंकना उसकी इज़्ज़त से खिलवाड़ है। दरअसल, 2011 में एक शख्स ने अपनी पड़ोसी पर चिट फेंकी थी। निचली अदालत ने आरोपी पर ₹40,000 जुर्माना लगाया था जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ाकर ₹90,000 कर दिया।

नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक शादीशुदा महिला पर 'लव चिट' फेंकने को महिला के लज्जा भंग करने का अपराध माना है। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि पीड़ित महिला को मुआवजे के तौर पर दी जाएगी। 

आरोपी ने महिला से प्यार की पेशकश करते हुए उस पर यह चिट फेंकी थी। चार अगस्त को माममले की सुनवाई करते हुए नागपुर पीठ के जस्टिस रोहित देव ने कहा कि विवाहित महिला से प्यार की पेशकश करना और उस पर पर्ची में कविता के अंश लिखकर फेंकना, उसका शील भंग करने का अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है। 

इससे पहले अकोला के सत्र न्यायालय ने आरोपी श्रीकृष्ण तावड़ी को भादंवि की धारा 354 यानी महिला की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक नीयत से हमला करने के अपराध का दोषी माना था। निचजी कोर्ट ने आरोपी को दो साल के कठोर कारावास की सजा व 40 हजार रुपये जुर्माना लगाया था। इसमें से 35 हजार रुपये पीड़िता को मुआवजे बतौर दिए जाने थे। 

45 साल की पीड़ित महिला ने 4 अक्तूबर 2011 को अकोला के सिविल लाइंस पुलिस थाने में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उसने आरोप लगाया था कि उस साल तीन अक्तूबर को आरोपी, जो कि उसके घर के पास किराना दुकान चलाता है, उसके पास आया। तब वह बर्तन साफ कर रही थी। आरेापी ने उसे एक पर्ची देने की कोशिश की, जब उसने यह लेने से इनकार कर दिया तो वह आई लव यू बोलकर उस पर पर्ची फेंक कर चला गया। अगले दिन उसने अश्लील इशारे किए। इतना ही उसने धमकाया कि पर्ची में लिखी बात किसी को मत बताना। 

पुलिस ने महिला द्वारा उपलब्ध कराई गई पर्ची व अन्य सबूतों के आधार पर केस दर्ज करने के बाद कोर्ट में मामला पेश किया। सत्र न्यायालय ने आरोपी को भादंवि की धारा 354, 506, व 509 के तह दोषी मानते हुए उसे दंड़ित किया। इस सजा को आरोपी ने हाईकोर्ट में महिला की शिकायत को झूठी बताते हुए अपील दायर की थी। 

हाईकोर्ट ने फैसले में कही यह बात

जस्टिस रोहित देव ने किसी महिला की लज्जा उसका सबसे कीमती आभूषण होती है और इसका कोई फॉर्मू्ला नहीं है कि उसकी गरिमा भंग हुई या नहीं। आरोपी 45 दिन तक जेल में रह चुका है, इसलिए उसे और जेल में रखने की जरूरत नहीं है, उसे सुधरने का अवसर दिया जाना चाहिए। हालांकि जुर्माना बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया जाता है, जो पीड़िता को दिया जाना चाहिए। उसकी मृत्यु हो गई हो तो यह राशि उसके वारिसों को दी जाए।