आज गुरु पूर्णिमा
आप मनाएं, न मनाएं, लेकिन यह जान लीजिए कि गुरु पूर्णिमा ऐतिहासिक भी है और पौराणिक भी। अगली कुछ लाइनों के जरिए आपको इसी एहसास से गुजारने की कोशिश करते हैं...
...तो बात शुरू करते हैं आदि गुरु भगवान शिव से। कोई 15 हजार साल पहले गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने सप्तऋषियों को शिष्य बनाया और यौगिक विज्ञान समझाया। मौसम बीते, साल गुजरे, सदियां बीतीं और वही यौगिक विज्ञान आज का योग बन गया।
इसी तरह 2500 साल पहले गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश पांच शिष्यों को दिया। यह धर्मचक्र प्रवर्तन कहलाया। जैन धर्म में भी यह दिन खास है। गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान महावीर ने पहला शिष्य बनाया और सत्य, अहिंसा का उपदेश दिया। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जन्मे। वही वेद व्यास, जिन्होंने वेदों को चार हिस्सों में बांटा, महाभारत लिखी, 18 पुराणों की रचना की।
आज चंद्र ग्रहण भी है
जब सूरज, धरती और चांद एक कतार में आते हैं और धरती का साया चांद पर पड़ने लगता है तो हम इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। यह बात इसलिए, क्योंकि आज ऐसा ही दिन है। 30 दिन में दूसरा चंद्र ग्रहण और तीसरा ग्रहण। इससे पहले 5 जून को चंद्र ग्रहण और 21 जून को सूर्य ग्रहण था।
रविवार को चंद्र ग्रहण सुबह 8.37 बजे से शुरू होगा। खत्म 11.22 पर होगा। भारत में यह दिखने वाला नहीं है। इस बार इत्तेफाक यह है कि गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण आ रहा है। अगली बार ऐसा संयोग 2038 में आएगा। पिछली बार 19 साल पहले यानी 2001 में ऐसा हुआ था।