AMAR UJALA : Sep 07, 2019, 05:25 PM
चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर से संपर्क टूट जाने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के कई वैज्ञानिकों के साथ-साथ उनके प्रमुख डॉ. के सिवन भी भावुक हो गए। खुद को संभालते-संभालते आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने वह रो पड़े। उन्हें निराश देखकर प्रधानमंत्री ने उन्हें गले लगाकर ढांढस भी बंधाया।
आज हम आपको उनकी ऐसी कई बातें बता रहे हैं, जिनके बारे में जान कर आपको भी अपने इस इसरो प्रमुख पर गर्व होगा। आगे की स्लाइड्स में जानें के. सिवन की कहनी।इसरो प्रमुख का पूरा नाम डॉ. कैलाशवडिवू सिवन (K Sivan) है। 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सराक्कलविलाई गांव में एक किसान के घर उनका जन्म हुआ था। सिवन ने एक सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से पढ़ाई की है। नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया। सिवन स्नातक करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं। उनके भाई और बहन गरीबी के कारण अपनी उच्च शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।लेकिन सिवन का सफर यहीं नहीं रुका। 1980 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) से इंजीनियरिंग में पीजी की पढ़ाई की। फिर 2006 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। साल 2018 में सिवन को इसरो का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उनसे पहले इस पद पर ए. एस. किरण कुमार थे। के. सिवन के अनुसार, जब वह कॉलेज में थे तो खेतों में अपने पिता की मदद भी करते थे। इस कारण स्नातक में उनका दाखिला घर के पास के कॉलेज में ही करा दिया गया था। लेकिन जब उन्हें बीएससी में मैथ्स में 100 फीसदी अंक मिले, तो उन्होंने पढ़ाई पर पूरा ध्यान देने का मन बना लिया। सिवन के अनुसार, बचपन में उनके पास पहनने के लिए जूते-चप्पल भी नहीं थे। वे अक्सर नंगे पैर ही रहा करते। कॉलेज तक धोती पहनते थे। एमआईटी में दाखिला लेने के बाद उन्होंने पहली बार पैंट पहनी। वह कभी ट्यूशन या कोचिंग क्लास भी नहीं गए।सिवन ने साल 1982 में इसरो ज्वाइन किया था। यहां उन्होंने लगभग हर रॉकेट कार्यक्रम में काम किया है। इसरो प्रमुख बनने से पहले वह रॉकेट बनाने वाले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक भी थे।सिवन ने साइक्रोजेनिक इंजन, पीएसएलवी, जीएसएलवी और रियूजेबल लॉन्च व्हीकल कार्यक्रमों में योगदान दिया है। इस कारण उन्हें इसरो का 'रॉकेट मैन' भी कहा जाता है। 15 फरवरी 2017 को भारत द्वारा एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। सिवन ने इस मिशन में अहम भूमिका निभाई थी। यह इसरो का विश्व रिकॉर्ड भी है। उन्हें इन पुरस्कारों से नवाजा गया है1999 - श्री हरि ओम आश्रम प्रेरित डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड2007 - इसरो मेरिट अवॉर्ड2014 - सत्यभामा यूनिवर्सिटी, चेन्नई से डॉ. ऑफ साइंस की उपाधि रॉकेट विशेषज्ञ सिवन को खाली समय में तमिल क्लासिकल गाने सुनना और गार्डनिंग करना पसंद है। उनकी पसंदीदा फिल्म 1969 में आई राजेश खन्ना की 'आराधना' है।
आज हम आपको उनकी ऐसी कई बातें बता रहे हैं, जिनके बारे में जान कर आपको भी अपने इस इसरो प्रमुख पर गर्व होगा। आगे की स्लाइड्स में जानें के. सिवन की कहनी।इसरो प्रमुख का पूरा नाम डॉ. कैलाशवडिवू सिवन (K Sivan) है। 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के सराक्कलविलाई गांव में एक किसान के घर उनका जन्म हुआ था। सिवन ने एक सरकारी स्कूल में तमिल माध्यम से पढ़ाई की है। नागेरकोयल के एसटी हिंदू कॉलेज से उन्होंने स्नातक किया। सिवन स्नातक करने वाले अपने परिवार के पहले सदस्य हैं। उनके भाई और बहन गरीबी के कारण अपनी उच्च शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।लेकिन सिवन का सफर यहीं नहीं रुका। 1980 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) से इंजीनियरिंग में पीजी की पढ़ाई की। फिर 2006 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। साल 2018 में सिवन को इसरो का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उनसे पहले इस पद पर ए. एस. किरण कुमार थे। के. सिवन के अनुसार, जब वह कॉलेज में थे तो खेतों में अपने पिता की मदद भी करते थे। इस कारण स्नातक में उनका दाखिला घर के पास के कॉलेज में ही करा दिया गया था। लेकिन जब उन्हें बीएससी में मैथ्स में 100 फीसदी अंक मिले, तो उन्होंने पढ़ाई पर पूरा ध्यान देने का मन बना लिया। सिवन के अनुसार, बचपन में उनके पास पहनने के लिए जूते-चप्पल भी नहीं थे। वे अक्सर नंगे पैर ही रहा करते। कॉलेज तक धोती पहनते थे। एमआईटी में दाखिला लेने के बाद उन्होंने पहली बार पैंट पहनी। वह कभी ट्यूशन या कोचिंग क्लास भी नहीं गए।सिवन ने साल 1982 में इसरो ज्वाइन किया था। यहां उन्होंने लगभग हर रॉकेट कार्यक्रम में काम किया है। इसरो प्रमुख बनने से पहले वह रॉकेट बनाने वाले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक भी थे।सिवन ने साइक्रोजेनिक इंजन, पीएसएलवी, जीएसएलवी और रियूजेबल लॉन्च व्हीकल कार्यक्रमों में योगदान दिया है। इस कारण उन्हें इसरो का 'रॉकेट मैन' भी कहा जाता है। 15 फरवरी 2017 को भारत द्वारा एकसाथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया था। सिवन ने इस मिशन में अहम भूमिका निभाई थी। यह इसरो का विश्व रिकॉर्ड भी है। उन्हें इन पुरस्कारों से नवाजा गया है1999 - श्री हरि ओम आश्रम प्रेरित डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड2007 - इसरो मेरिट अवॉर्ड2014 - सत्यभामा यूनिवर्सिटी, चेन्नई से डॉ. ऑफ साइंस की उपाधि रॉकेट विशेषज्ञ सिवन को खाली समय में तमिल क्लासिकल गाने सुनना और गार्डनिंग करना पसंद है। उनकी पसंदीदा फिल्म 1969 में आई राजेश खन्ना की 'आराधना' है।