उत्तराखंड / कांग्रेस नेता व उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का दिल का दौरा पड़ने से निधन

कांग्रेस नेता व उत्तराखंड विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का 80-वर्ष की उम्र में रविवार को दिल्ली के उत्तराखंड सदन में निधन हो गया। कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, "वह यहां एक बैठक के लिए आई थीं और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।" वह राज्य की पिछली सरकार में मंत्री रही थीं।

Vikrant Shekhawat : Jun 13, 2021, 02:55 PM
नई दिल्ली: उत्तराखंड कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश का रविवार को निधन हो गया है। उनके निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में शाेक की लहर दौड़ पड़ी है। आपको बता दें कि कांग्रेस संगठन की एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए गई ह्रदयेश नई दिल्ली गई हुई थीं। वहां उत्तराखंड सदन में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके पुत्र सुमित हृदयेश ने इसकी पुष्टि की है। हृदयेश की मौत से उत्तराखंड कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश की उम्र 80 साल की थी। वह उत्तराखंड की राजनीति में आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध थीं। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत उत्तर प्रदेश से की और नेता प्रतिपक्ष के रूप में समाप्त की। इंदिरा के पार्थिव शरीर को दिल्ली से हल्द्वानी लाया जा रहा है। बता दें कि कोरोना संक्रमण के बाद से उनकी तबीयत खराब चल रही थी।

उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से पार्टी को नुकसान पहुंचा है जिसकी भरपाई करना आसान नहीं हो पाएगा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित पूर्व विधायकों ने भी डॉ. हृदयेश के निधन पर गहर दुख व्यक्त किया है।  सांसद अनिल बलूनी ने भी डॉ. इंदिरा हृदयेश को श्रद्धांजलि दी है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी डॉ. हृदयेश के निधन पर दुख व्यक्त किया है। कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे ने डॉ. हृदयेश को बड़ी बहन कहते हुए कहा कि इंदिरा जी का निधन सम्पूर्ण प्रदेश-समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। शोक संतप्त परिवारजनों, समर्थकों के प्रति गहरी संवेदनायें व्यक्त की है।  वहीं दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि उत्तरप्रदेश के समय से राजनीति में डॉ. इंदिरा के अनुभवों का लाभ मिलता रहा है, आज उनके असमय चले जाने से प्रदेश को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई असंभव है।