World News / 40 साल में US ने नहीं देखी मई जैसी महंगाई, आंकड़े देख बिखरा शेयर बाजार, भारत पर भी असर!

अमेरिका में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिकी श्रम विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई माह में महंगाई की दर चार दशकों के उच्च स्तर 8.6 प्रतिशत पर थी। आंकड़े जारी होने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक- डाऊ जोंस 880 अंक या 2.73% तक लुढ़क कर 31,393 अंक पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी-500 भी करीब 3 फीसदी तक नीचे रहा।

Vikrant Shekhawat : Jun 11, 2022, 08:10 AM
अमेरिका में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिकी श्रम विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई माह में महंगाई की दर चार दशकों के उच्च स्तर 8.6 प्रतिशत पर थी। आंकड़े जारी होने के बाद अमेरिकी शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक- डाऊ जोंस 880 अंक या 2.73% तक लुढ़क कर 31,393 अंक पर बंद हुआ। वहीं, एसएंडपी-500 भी करीब 3 फीसदी तक नीचे रहा।

भारत पर असर: यूएस के शेयर बाजारों में गिरावट का असर सोमवार को भारतीय बाजार पर दिख सकता है। आपको बता दें कि शुक्रवार को सेंसेक्स 1,016 अंक यानी 1.84 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ 54,303 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 276.30 अंक यानी 1.68 प्रतिशत टूटकर 16,202 अंक पर बंद हुआ। 

यूएस के महंगाई आंकड़े: अमेरिकी श्रम विभाग ने मई, 2022 के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि पिछले महीने उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं। एक महीने पहले अप्रैल में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.3 प्रतिशत बढ़ी थीं। माह-दर-माह आधार पर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें अप्रैल की तुलना में मई में एक प्रतिशत बढ़ गईं। यह वृद्धि मार्च की तुलना में अप्रैल में हुई 0.3 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में काफी ज्यादा है।

वजह क्या है: इसका कारण गैस, खानपान और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि है। आपको बता दें कि अमेरिका पिछले कुछ महीनों से लगातार उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति से जूझ रहा है। खानपान एवं अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने से एक अमेरिकी परिवार के लिए जीवन-निर्वाह काफी मुश्किल हो गया है। इसकी सबसे ज्यादा मार अश्वेत समुदाय एवं निम्न-आय वर्ग के लोगों को झेलनी पड़ रही है।

हालांकि कुछ विश्लेषकों ने ऐसी संभावना जताई है कि आने वाले कुछ महीनों में अमेरिका में मुद्रास्फीति की तेजी पर लगाम लगेगी। लेकिन इसके बावजूद मुद्रास्फीति के साल के अंत में सात प्रतिशत से नीचे आने की संभावना कम ही है।