कारोबार / भारत में Vodafone और Idea अपनी सर्विस बंद कर सकती हैं, बैठक में होगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टेलिकॉम कंपनी Vodafone और Idea बड़े संकट में फंस गई हैं। हर महीने हो रहे है भारी घाटे के बाद अब आइडिया वोडाफोन के लिए अपने ऑपरेशंस को भारत में चलाना और मुश्किल हो गया है। इसीलिए कंपनी की बोर्ड बैठक में आज भारत में अपने ऑपरेशंस को चलाना या नहीं इस पर पैसला हो सकता है।

News18 : Feb 15, 2020, 12:44 PM
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टेलिकॉम कंपनी Vodafone और Idea बड़े संकट में फंस गई हैं। हर महीने हो रहे है भारी घाटे के बाद अब आइडिया वोडाफोन के लिए अपने ऑपरेशंस (Vodafone Idea may shut the shop) को भारत में चलाना और मुश्किल हो गया है। इसीलिए कंपनी की बोर्ड बैठक में आज भारत में अपने ऑपरेशंस को चलाना या नहीं इस पर पैसला हो सकता है। लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, डीओटी की रकम को चुकाने के लिए और क्या ऑपशंस कंपनी के पास हैं इस पर भी फैसला होगा। आपको बता दें कि दिसंबर 2019 में वोडा आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) ने कहा था कि अगर सरकार द्वारा आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जाती है तो कंपनी बंद हो जाएगी।

बड़ी मुश्किल में फंसी Idea Vodafone- वोडाफोन आइडिया पर 53,000 करोड़ रुपये का एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) बकाया है। वहीं, कंपनी को  तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर के दौरान कुल 6,439 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह लगातार छठी तिमाही है, जब कंपनी को नुकसान हुआ है। इस खबर के बाद कंपनी के शेयर में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है।

अब क्या होगा- वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल का कहना हैं कि 'वोडाफोन आइडिया के पास पैसे नहीं हैं। ऐसे वो NCLT में जा सकती है, क्योंकि उसे 17 मार्च को मामले की होने वाली अगली सुनवाई से पहले बकाये का भुगतान करना है। अगर इस मामले को स्वीकार कर लेता है तो बैंकरप्टसी लॉ के तहत बकाया चुकाने पर रोक लग जाएगी और इस तरह कंपनी को भुगतान नहीं करना पड़ सकता है।

क्या है मामला- एजीआर (Adjusted Gross Revenues) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को कोई भी राहत देने से इनकार किया है। अदालत ने इन कंपनियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है। 16 जनवरी को जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने दूरसंचार कंपनियों को सरकार को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) चुकाने के आदेश दिए थे।

कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार को 1।47 लाख करोड़ रुपये का बकाया नहीं देने को लेकर दूरसंचार कंपनियों को फटकार लगाई है और इन सभी कंपनियों के टॉप  अधिकारियों को तलब कर यह बताने के लिए कहा है कि बकाये को चुकाने को लेकर टॉप अदालत के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया है। अदालत ने इन कंपनियों को फटकार लगाते हुए 14 फरवरी की खत्म होने तक 1।47 लाख करोड़ रुपये जमा करने को कहा था।

विवेक कहते हैं कि यह टेलिकॉम के लिये बुरी खबर है। इससे वोडाफोन आइडिया की स्थिति विशेष तौर पर कमजोर हुई है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में दो ही कंपनियों के बचे रह जाने का जोखिम पहले की तुलना में सबसे अधिक हो गया है।

कंपनियों के पास किसी उपाय की कम ही गुंजाइश बची है, लेकिन अदक सरकार इसे लॉन्ग टर्म समस्या माने तो वह नीति में बदलाव पर विचार कर सकती है। एमटीएनएल और बीएसएनएल की हालत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 93000 से ज्यादा कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एयरटेल ने कहा कि वह 20 फरवरी तकर 10 हजार रुपये का भुगतान कर देगा। कोर्ट ने इसके भुगतान के लिए 17 मार्च तक का समय दिया है। 1।47 लाख करोड़ में 92642 करोड़ लाइसेंस फीस है और बकाया 55054 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम चार्जेज हैं। एयरटेल पर 35000 हजार करोड़ रुपये का बकाया है।