Vikrant Shekhawat : Feb 11, 2022, 10:54 AM
स्टार कास्ट: राजकुमार राव, भूमि पेडनेकर, गुलशन देवैया, शीबा चड्ढा, चुम दरांग, सीमा पाहवा आदिनिर्देशक: हर्षवर्धन कुलकर्णीकहां देख सकते हैं: थियेटर्स मेंये मूवी देखकर एक सवाल आपके दिमाग में आना ही आना है कि लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने गए शाहरुख खान के थूकने और फूंकने का विवाद इतनी जल्दी किसी मूवी में कैसे आ गया. हालांकि ये मुमकिन नहीं लग रहा, सो संयोग हो सकता है. लेकिन मूवी को अगर आप एक लाइन में समझना चाहे तो समझिए एक लाइन के यूनीक आइडिया को फिल्म बनाया गया है, और आइडिया है एक गे और एक लेस्बियन की शादी.ऐसी है कहानीसबसे पहले शाहरुख वाले सीन की चर्चा कर लेते हैं, दरअसल इस मूवी में पुलिस इंस्पेक्टर शार्दूल ठाकुर (जो संयोग से या जान बूझकर हमारे एक क्रिकेटर का भी नाम है) के रोल में हैं राजकुमार राव, जो एक समलैंगिक यानी गे हैं. जब वो एक लड़के का फूंक के जरिए अल्कोहल टेस्ट करना चाहते हैं, तो वो फूंक के बजाए उनके हाथ में थूक देता है. सो आप को शाहरुख की याद इस सीन में आना तय है. फिल्म की हीरोइन हैं भूमि पेडनेकर, वो भी समलैंगिक या लेस्बियन हैं और एक स्कूल में फिजिकल एजुकेशन की टीचर हैं. दोनों की मुलाकात से शार्दूल को आइडिया आता है कि दोनों शादी कर लें और रूम मेट्स की तरह रहें तो घर वालों की रोज-रोज की चिक चिक खत्म हो जाएगी और कोई परेशान भी नहीं करेगा.कमाल की लगीं चुम दरांगअब डायरेक्टर हर्षवर्धन कुलकर्णी के सामने दिक्कत ये थी कि मूवी को कैसे आगे बढ़ाया जाए और क्या इसका क्लाइमैक्स हो. उन्होंने अपनी पहली मूवी हंटर की तरह इसको भी कई घटनाओं, पात्रों, फनी गानों और चुटीले डायलॉग्स के जरिए मूवी को कॉमेडी बनाने की कोशिश है. काफी हद तक कामयाब भी हुए है. लेकिन उनको सेक्स सीन दिखाने नहीं थे. कहानी को किसी और दिशा में मोड़ना नहीं था, तो दोनों के पार्टनर जोड़े गए, शादी के बाद बच्चे की कहानी जोड़ी गई. लड़के-लड़की दोनों के परिजनों को जरूरत से ज्यादा फनी बनाने को कोशिश की गई. इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित किया राव की मां के रोल में शीबा चड्ढा ने हालांकि सीमा पाहवा का रोल भी दमदार था. अरुणाचल की मॉडल चुम दरांग भी कमाल की लगी है. कहानी देहरादून में सेट की गई है.दिखती है राजकुमार और भूमि की मेहनतलेकिन डायरेक्टर की पहली मूवी हंटर के हीरो गुलशन देवैया की एंट्री से लगा कि मूवी अब खतरनाक मोड में जाएगी, लेकिन उनका रोल भी कुछ खास नहीं था. ऐसे में पूरी मूवी की जिम्मेदारी आ गई राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर के सर. दोनों ने काफी मेहनत भी की है. चूंकि मामला समलैंगिकों से जुड़ा है तो एक बेहद संवेदनशील मसला भी है और आप मान सकते हैं इस मूवी में डायरेक्टर ने बड़ी नजाकत से इस विषय को रखा है, लेकिन ये सोसायटी पर निर्भर करता है कि वो इससे क्या मेसेज लेती है. बहुत लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि विषयों पर चर्चाओं से विषय ग्लैमराइज होता है.सुनने लायक हैं गाने'बधाई' हो के सीक्वल के तौर पर 'बधाई दो' चर्चा में तो है, लेकिन परिवार गे और लेस्बियन फिल्मों को देखने के लिए थियेटर्स में शायद ही जाएं. ऐसे में ये इस फिल्म के लिए दिक्कत पैसा कर सकता है, लेकिन इस फिल्म के टाइटल सॉन्ग समेत 3 गीत तो ऐसे हैं, जो सुनने में आनंद देते हैं. कुल मिलाकर एक संवेदनशील विषय को इतने मजेदार ढंग से नहीं रखा जा सकता था, कमी थी तो बस एक अच्छे क्लाइमैक्स की.