- भारत,
- 27-Jan-2025 07:40 PM IST
Delhi Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में महिलाओं को साधने के लिए राजनीतिक दलों ने महिला केंद्रित योजनाओं की झड़ी लगा दी है। भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सभी ने महिलाओं के लिए दिलचस्प वादे किए हैं, जिनमें नकद सहायता, सब्सिडी, और अन्य लाभ शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुझान महिलाओं की बढ़ती राजनीतिक भूमिका की स्वीकार्यता को दर्शाता है, लेकिन साथ ही दीर्घकालिक प्रभावों और आत्मनिर्भरता पर इसके असर को लेकर चिंताएं भी जाहिर की गई हैं।
माकपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बृंदा करात ने कहा कि इन योजनाओं से महिलाओं को पहचान तो मिलती है, लेकिन ये उन्हें अक्सर लाभार्थी तक ही सीमित कर देती हैं। उन्होंने कहा, "महिलाओं को उनके अधिकारों के जरिये सशक्त किया जाना चाहिए, न कि केवल योजनाओं के जरिए।"
महिलाओं पर विशेष ध्यान क्यों?
दिल्ली में लगभग 50% मतदाता महिलाएं हैं, और इस "आधी आबादी" को लुभाना हर पार्टी की प्राथमिकता बन गई है। यह पहली बार नहीं है जब महिलाओं को केंद्र में रखकर चुनावी वादे किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश की 'लाड़ली बहन योजना' और महाराष्ट्र की 'लाडकी बहन योजना' के सफल उदाहरणों ने यह साबित कर दिया है कि महिलाओं पर केंद्रित योजनाएं चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकती हैं।भाजपा, कांग्रेस और आप के वादे
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा):
'महिला समृद्धि योजना' के तहत भाजपा ने महिलाओं को प्रति माह ₹2,500 नकद सहायता, मातृत्व लाभ के लिए ₹21,000, और रसोई गैस सिलेंडर पर ₹500 की सब्सिडी देने का वादा किया है। - आम आदमी पार्टी (आप):
आप ने महिलाओं को प्रति माह ₹2,100 नकद सहायता का ऐलान किया है। पार्टी की मौजूदा मुफ्त बस यात्रा योजना पहले से ही महिलाओं के बीच लोकप्रिय है। - कांग्रेस:
कांग्रेस ने 'प्यारी दीदी योजना' के तहत ₹2,500 प्रति माह नकद सहायता का वादा किया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
चुनाव सुधार निकाय 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' के संस्थापक जगदीप छोक्कर ने इन योजनाओं की स्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा, "मुफ्त सुविधाएं केवल अल्पकालिक राहत देती हैं। दीर्घकालिक सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन पर जोर देना चाहिए।"माकपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता बृंदा करात ने कहा कि इन योजनाओं से महिलाओं को पहचान तो मिलती है, लेकिन ये उन्हें अक्सर लाभार्थी तक ही सीमित कर देती हैं। उन्होंने कहा, "महिलाओं को उनके अधिकारों के जरिये सशक्त किया जाना चाहिए, न कि केवल योजनाओं के जरिए।"
महिलाओं की राय
- हैदरपुर की शांति देवी (सब्जी विक्रेता):
"नकद सहायता से स्कूल की फीस और किराए जैसे खर्चों में मदद मिलेगी। अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करना मेरे लिए बेहतर है।" - मयूर विहार की सीमा सिंह (घरेलू सहायिका):
"मुफ्त बस यात्रा से मुझे काफी बचत हुई है। अगर नकद सहायता भी मिलती है, तो यह और अच्छा होगा।" - सरिता विहार की पूजा वर्मा (शिक्षिका):
"ये योजनाएं गरीबों के लिए उपयोगी हैं, लेकिन बेहतर शिक्षा, सड़कें, और बुनियादी ढांचे की आवश्यकता अधिक है।" - मदनपुर खादर की अंजलि कुमारी (ब्यूटिशियन):
"ये योजनाएं मददगार हैं, लेकिन ये गरीबी से बाहर नहीं निकाल सकतीं। हमें बेहतर नौकरियों और अवसरों की जरूरत है।"