Vikrant Shekhawat : Aug 26, 2022, 08:32 AM
Ganesh Chaturthi: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, देवताओं में सबसे पहले भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा की जाती है. गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. जान लें कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्योहार आने वाला है. भगवान श्रीगणेश का ये महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. अब गणेश चतुर्थी को ज्यादा समय नहीं बचा है. गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. बता दें कि गणेश चतुर्थी का ये महापर्व 10 दिनों तक चलता है. इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त से शुरू होगा और 9 सितंबर तक चलेगा. इस बीच, ये जरूर जान लीजिए कि भगवान गणेश की कैसी मूर्ति घर लानी चाहिए.गणपति बप्पा की मूर्ति का चुनाव कैसे करें?बता दें कि गणपति बप्पा की मूर्ति का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. बता दें कि गणेश चतुर्थी के पर्व के लिए लोगों को बाईं तरफ सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति ही लाने की सलाह दी जाती है. दरअसल ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बाईं तरफ वाले गणेश जी को वाममुखी गणपति कहा जाता है और दाईं तरफ सूंड वाले गणेश जी को सिद्धिविनायक कहते हैं. जान लें कि वाममुखी गणपति की पूजा करना, भगवान सिद्धिविनायक के मुकाबले आसान है. यही वजह है कि घर में बाईं ओर सूंड वाले गणपति लाने की सलाह दी जाती है. दरअसल भगवान सिद्धिविनायक की पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है, जो मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर ही संभव हैं.इन बातों का रखें खास ध्यानइसके अलावा आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि घर पर जब भी गणपति बप्पा की मूर्ति लाएं तो वो प्लास्टर ऑफ पेरिस की नहीं हो. इको फ्रेंडली मूर्ति ही अपने घर लाएं क्योंकि इसे विसर्जित करते समय आसानी होती है. जब भी बाजार में भगवान गणेश की मूर्ति खरीदने के लिए जाएं तो कोशिश करें कि उनकी बैठी हुई मूर्ति ही लाएं. इसे शुभ माना जाता है. इसके अलावा भगवान गणेश की सफेद और सिंदूरी रंग की प्रतिमा को शुभता का प्रतीक माना गया है.किस दिशा में स्थापित करें गणपति बप्पा की मूर्ति?गौरतलब है कि भगवान की गणेश की मूर्ति को कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके स्थापित नहीं करना चाहिए. इसके अलावा ना ही घर के दक्षिण कोने में मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. जान लें कि गणपति बप्पा की मूर्ति को स्थापित करने के लिए उत्तर-पूर्व की दिशा यानी ईशाना कोण को सबसे उत्तम माना जाता है.