Zee News : Aug 04, 2020, 04:36 PM
नई दिल्ली: यूरोपीय संघ ने पहली बार साइबर हमले के मामले में चीनी नागरिकों और एक चीनी कंपनी पर कठोर कार्रवाई की है। इसमें न सिर्फ दो चीनी नागरिकों बल्कि एक चीनी कंपनी को भी बैन कर दिया गया है। इसके अलावा करीब 6 अन्य लोग और तीन अन्य कंपनियों पर भी कार्रवाई की गई है।यूरोपीय यूनियन की ओर से बैन किए गए चीनी नागरिकों के नाम गाओ कियांग, शिलांग झैंग है और कंपनी का नाम तियान्जिन हुआयिंग हैताई साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट है। ये चीन के तियान्जिन प्रांत से अपने ऑपरेशन चलाती है। इन पर यूरोपीय यूनियन की तरफ से न सिर्फ यात्रा प्रतिबंध लगाए गए हैं, बल्कि यूरोपीय यूनियन के किसी भी व्यक्ति या संस्था के साथ संबंध रखने से रोक दिया गया है। यही नहीं, इनकी संपत्ति को भी फ्रीज कर दिया गया है।जानकारी के मुताबिक ये लोग ऑपरेशन क्लॉउड हॉप्पर से संबंधित है, जिसमें दुनिया के सभी 6 महाद्वीपों पर साइबर अटैक किए गए। इसी के तहत यूरोपीय यूनियन में स्थित कंपनियों पर भी साइबर अटैक हुए। इस साइबर अटैक के माध्यम से कंपनियों की संवेदनशील जानकारियां चुराई गईं जिससे काफी आर्थिक नुकसान हुआ।
एपीटी 10 ग्रुपयूरोपीय यूनियन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये सभी एपीटी 10(एडवांस परसिस्टेंट थ्रेट 10) ये जुड़े थे, जो चीनी खुफिया एजेंसी चलाती है। ईयू के आदेश में कहा गया है कि एपीटी 10 और रेड अपोलो के पीछे चीनी साइबर एजेंसी है, जो चाइनीज मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के तियान्जिन स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो के तहत चलाए गए। एपीटी 10 ग्रुप का मुख्य तौर पर काम ये है कि ये ग्रुप कंपनियों के सिस्टम में मालवेयर (वायरस) डाल देता है। ये मालवेयर पीड़ित व्यक्ति या संस्थान के सिस्टम के मुताबिक खुद को ढाल लेता है और फिर संवेदनशील जानकारियां अपने आकाओं तक पहुंचा देता है।अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के मुताबिक साल 2018 में एपीटी 10 ग्रुप ने अमेरिका की 45 तकनीकी कंपनियों में सेंध लगाई थी। यही नहीं, इस ग्रुप ने अमेरिका के 12 राज्यों जिसमें एरिजोना, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, फ्लोरिडा, मैरीलैंड, न्यूयॉर्क, ओहियो जैसे राज्य शामिल हैं की सरकारी एजेंसियों के डाटा में भी सेंध लगाई थी। उसी साल अमेरिका ने हुआयिंग हैताई साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े 2 चीनी नागरिकों पर हैकिंग से जुड़े आरोप लगाए थे।
ताजे मामले में यूरोपीय यूनियन ने 6 लोगों और तीन कंपनियों पर बैन लगाए हैं, जो चीन के अलावा रूस और उत्तर कोरिया से जुड़ी हैं।
एपीटी 10 ग्रुपयूरोपीय यूनियन द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये सभी एपीटी 10(एडवांस परसिस्टेंट थ्रेट 10) ये जुड़े थे, जो चीनी खुफिया एजेंसी चलाती है। ईयू के आदेश में कहा गया है कि एपीटी 10 और रेड अपोलो के पीछे चीनी साइबर एजेंसी है, जो चाइनीज मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी के तियान्जिन स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो के तहत चलाए गए। एपीटी 10 ग्रुप का मुख्य तौर पर काम ये है कि ये ग्रुप कंपनियों के सिस्टम में मालवेयर (वायरस) डाल देता है। ये मालवेयर पीड़ित व्यक्ति या संस्थान के सिस्टम के मुताबिक खुद को ढाल लेता है और फिर संवेदनशील जानकारियां अपने आकाओं तक पहुंचा देता है।अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के मुताबिक साल 2018 में एपीटी 10 ग्रुप ने अमेरिका की 45 तकनीकी कंपनियों में सेंध लगाई थी। यही नहीं, इस ग्रुप ने अमेरिका के 12 राज्यों जिसमें एरिजोना, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, फ्लोरिडा, मैरीलैंड, न्यूयॉर्क, ओहियो जैसे राज्य शामिल हैं की सरकारी एजेंसियों के डाटा में भी सेंध लगाई थी। उसी साल अमेरिका ने हुआयिंग हैताई साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े 2 चीनी नागरिकों पर हैकिंग से जुड़े आरोप लगाए थे।
ताजे मामले में यूरोपीय यूनियन ने 6 लोगों और तीन कंपनियों पर बैन लगाए हैं, जो चीन के अलावा रूस और उत्तर कोरिया से जुड़ी हैं।