Vikrant Shekhawat : Feb 28, 2021, 05:31 PM
USA: कोरोना ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। लेकिन कोरोना की आर्थिक चोट अमेरिका पर बहुत अधिक रही है। अमेरिका पर वैश्विक ऋण में तेजी से वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर कर्ज बढ़कर 29 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। अमेरिका पर वर्तमान में कुल कर्ज भारत की जीडीपी का लगभग 10 गुना है। लेकिन अमेरिका भी भारत का ऋणी है और अमेरिका को भारत का कर्ज पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। वर्तमान में, भारत का अमेरिका पर कर्ज 21,600 करोड़ डॉलर है, जो लगभग 16 लाख करोड़ रुपये है।
गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था भारत से लगभग 7 गुना बड़ी है और इसकी कीमत 21 ट्रिलियन डॉलर है। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में $ 3 ट्रिलियन के आसपास है। लेकिन अमेरिका पर कुल कर्ज भारत की जीडीपी का लगभग 10 गुना है। दरअसल, एक अमेरिकी सांसद ने देश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर बिडेन प्रशासन को आगाह किया है। वर्तमान में, चीन और जापान का अमेरिका पर सबसे ज्यादा कर्ज है। वर्ष 2020 में, अमेरिका का कुल राष्ट्रीय ऋण बोझ 23,400 बिलियन डॉलर था। अब अगर अमेरिका का राष्ट्रीय ऋण वहां के 32 करोड़ लोगों में विभाजित है, तो देश के प्रत्येक नागरिक पर लगभग $ 72309 का कर्ज है। अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि अमेरिका ने चीन और जापान से अधिकतम ऋण लिया है, जो उसका दोस्त भी नहीं है। चीन हमेशा से अमेरिका के लिए प्रतिस्पर्धी रहा है। वास्तव में, अमेरिकी सांसद ने देश पर बढ़ते कर्ज के मद्देनजर 1.9 ट्रिलियन डॉलर के नए राहत पैकेज का विरोध किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील पर भी 258 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है। यही नहीं, अमेरिकी सांसदों ने अमेरिकी कांग्रेस में जो रिपोर्ट डाली है, उसके अनुसार, वर्तमान में प्रत्येक अमेरिकी पर 84,000 डॉलर से अधिक या 60 लाख रुपये से अधिक का कर्ज है। अमेरिकी सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि चीन हमारे ऊपर 1000 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज है। वहीं, जापान पर भी 1000 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है।अमेरिका पर 2000 में 6 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो ओबामा शासन के दौरान दोगुना हो गया। और यह लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में अमेरिका पर कुल कर्ज बढ़कर 29 ट्रिलियन डॉलर हो गया। अमेरिकी सांसद ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि 2050 तक, अमेरिका 104 ट्रिलियन डॉलर अधिक उधार लेगा। यानी स्थिति और खराब हो सकती है।कुछ विशेषज्ञ अमेरिकी की इस आर्थिक स्थिति पर ट्रम्प की खराब नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए बराक ओबामा और उनकी पहले की सरकारें जिम्मेदार रही हैं। ट्रम्प प्रशासन में भी, ऋण में कमी के बजाय वृद्धि हुई थी। हालांकि, अब बिडेन प्रशासन को इन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था भारत से लगभग 7 गुना बड़ी है और इसकी कीमत 21 ट्रिलियन डॉलर है। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में $ 3 ट्रिलियन के आसपास है। लेकिन अमेरिका पर कुल कर्ज भारत की जीडीपी का लगभग 10 गुना है। दरअसल, एक अमेरिकी सांसद ने देश पर बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर बिडेन प्रशासन को आगाह किया है। वर्तमान में, चीन और जापान का अमेरिका पर सबसे ज्यादा कर्ज है। वर्ष 2020 में, अमेरिका का कुल राष्ट्रीय ऋण बोझ 23,400 बिलियन डॉलर था। अब अगर अमेरिका का राष्ट्रीय ऋण वहां के 32 करोड़ लोगों में विभाजित है, तो देश के प्रत्येक नागरिक पर लगभग $ 72309 का कर्ज है। अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि अमेरिका ने चीन और जापान से अधिकतम ऋण लिया है, जो उसका दोस्त भी नहीं है। चीन हमेशा से अमेरिका के लिए प्रतिस्पर्धी रहा है। वास्तव में, अमेरिकी सांसद ने देश पर बढ़ते कर्ज के मद्देनजर 1.9 ट्रिलियन डॉलर के नए राहत पैकेज का विरोध किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार ब्राजील पर भी 258 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है। यही नहीं, अमेरिकी सांसदों ने अमेरिकी कांग्रेस में जो रिपोर्ट डाली है, उसके अनुसार, वर्तमान में प्रत्येक अमेरिकी पर 84,000 डॉलर से अधिक या 60 लाख रुपये से अधिक का कर्ज है। अमेरिकी सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि चीन हमारे ऊपर 1000 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज है। वहीं, जापान पर भी 1000 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है।अमेरिका पर 2000 में 6 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो ओबामा शासन के दौरान दोगुना हो गया। और यह लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में अमेरिका पर कुल कर्ज बढ़कर 29 ट्रिलियन डॉलर हो गया। अमेरिकी सांसद ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि 2050 तक, अमेरिका 104 ट्रिलियन डॉलर अधिक उधार लेगा। यानी स्थिति और खराब हो सकती है।कुछ विशेषज्ञ अमेरिकी की इस आर्थिक स्थिति पर ट्रम्प की खराब नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए बराक ओबामा और उनकी पहले की सरकारें जिम्मेदार रही हैं। ट्रम्प प्रशासन में भी, ऋण में कमी के बजाय वृद्धि हुई थी। हालांकि, अब बिडेन प्रशासन को इन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।