AMAR UJALA : Aug 28, 2020, 09:03 AM
Us: विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ने के साथ ही जुबानी जंग भी चालू हो गई है। अमेरिकी रक्षा चीफ ने पैसेफिक एरिया में ‘एक इंच भी पीछे नहीं हटने’ का संकल्प लिया है तो चीन ने यह कहते हुए चेतावनी दी है कि वॉशिंगटन सैनिकों की जान खतरे में डाल रहा है। ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने भी बृहस्पतिवार को चेतावनी दी कि दक्षिणी चीन सागर के तट पर इस सप्ताह चीन की सैन्य ड्रिल समेत पूरे तनाव के चलते क्षेत्र में ‘एक्सीडेंटल’ टकराव के हालात पैदा हो सकते हैं।
अमेरिका और चीन के बीच आपस में तकनीक और मानवाधिकार से लेकर विवादित दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना की गतिविधियों को लेकर टकराव चल रहा है, जिसमें दोनों एक-दूसरे पर जान-बूझकर उकसाने वाला व्यवहार करने का आरोप लगाते हैं। नवंबर में अपने यहां राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिका का चीन के खिलाफ ताजा कदम बुधवार को सामने आया, जिसमें वॉशिंगटन ने 24 चीनी कंपनियों और कई व्यक्तियों को दक्षिणी चीन सागर के व्यस्त जलमार्ग में निर्माण और सैन्य कार्रवाईयों के चलते ब्लैक लिस्ट कर दिया।हवाई में अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा, चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लगातार आक्रामक तरीके से एक सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम चला रही है, जिसका मकसद इस सदी के मध्य तक खुद को विश्व स्तरीय सेना बना लेना है। एस्पर ने कहा, यह निस्संदेह दक्षिण और पूर्वी चीन सागर तथा अन्य हर उस जगह पीएलए के उत्तेजक व्यवहार में दिखाई देगा, जहां भी चीनी सरकार अपने हितों को अहम मानती है। एस्पर ने इंडो-पैसेफिक एरिया को चीन के साथ महान ताकतों की प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बिंदु बताते हुए कहा, हम इस क्षेत्र से पीछे नहीं हटेंगे, यदि तुम एक इंच भी धरती दूसरे देश में चाहोगे, उस देश की, जो अपनी तरह की सरकार के बारे में सोचता है, मानवाधिकारों पर, संप्रभुता पर, प्रेस की स्वतंत्रता पर, धार्मिक स्वतंत्रता पर, सभा की स्वतंत्रता पर अपनी राय रखता है, उन सभी बातों पर जो हममें से कई की तरफ से साझा किए जाने से भी बेहतर है।उधर, बीजिंग में बृहस्पतिवार को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने मासिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, कुछ अमेरिकी राजनेता चीन-अमेरिका सैन्य गठजोड़ को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये राजनेता नवंबर चुनाव में भाग लेने के दौरान अपने स्वार्थी लाभ के लिए सैन्य संघर्ष तक करने की ताक में हैं। कियान ने चेतावनी देते हुए कहा, इस तरह का व्यवहार दोनों तरफ के अगली पंक्ति के अधिकारियों और सैनिकों की जान खतरे में डाल रहा है। अमेरिका की तरफ से ‘उकसावे और दबाव’ से चीन नहीं घबरा रहा है। चीन सख्ती से अपनी सुरक्षा करता रहेगा और अमेरिका को परेशानी का कारण बनने की इजाजत नहीं देगा।
अमेरिका और चीन के बीच आपस में तकनीक और मानवाधिकार से लेकर विवादित दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना की गतिविधियों को लेकर टकराव चल रहा है, जिसमें दोनों एक-दूसरे पर जान-बूझकर उकसाने वाला व्यवहार करने का आरोप लगाते हैं। नवंबर में अपने यहां राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिका का चीन के खिलाफ ताजा कदम बुधवार को सामने आया, जिसमें वॉशिंगटन ने 24 चीनी कंपनियों और कई व्यक्तियों को दक्षिणी चीन सागर के व्यस्त जलमार्ग में निर्माण और सैन्य कार्रवाईयों के चलते ब्लैक लिस्ट कर दिया।हवाई में अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा, चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लगातार आक्रामक तरीके से एक सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम चला रही है, जिसका मकसद इस सदी के मध्य तक खुद को विश्व स्तरीय सेना बना लेना है। एस्पर ने कहा, यह निस्संदेह दक्षिण और पूर्वी चीन सागर तथा अन्य हर उस जगह पीएलए के उत्तेजक व्यवहार में दिखाई देगा, जहां भी चीनी सरकार अपने हितों को अहम मानती है। एस्पर ने इंडो-पैसेफिक एरिया को चीन के साथ महान ताकतों की प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बिंदु बताते हुए कहा, हम इस क्षेत्र से पीछे नहीं हटेंगे, यदि तुम एक इंच भी धरती दूसरे देश में चाहोगे, उस देश की, जो अपनी तरह की सरकार के बारे में सोचता है, मानवाधिकारों पर, संप्रभुता पर, प्रेस की स्वतंत्रता पर, धार्मिक स्वतंत्रता पर, सभा की स्वतंत्रता पर अपनी राय रखता है, उन सभी बातों पर जो हममें से कई की तरफ से साझा किए जाने से भी बेहतर है।उधर, बीजिंग में बृहस्पतिवार को चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने मासिक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, कुछ अमेरिकी राजनेता चीन-अमेरिका सैन्य गठजोड़ को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये राजनेता नवंबर चुनाव में भाग लेने के दौरान अपने स्वार्थी लाभ के लिए सैन्य संघर्ष तक करने की ताक में हैं। कियान ने चेतावनी देते हुए कहा, इस तरह का व्यवहार दोनों तरफ के अगली पंक्ति के अधिकारियों और सैनिकों की जान खतरे में डाल रहा है। अमेरिका की तरफ से ‘उकसावे और दबाव’ से चीन नहीं घबरा रहा है। चीन सख्ती से अपनी सुरक्षा करता रहेगा और अमेरिका को परेशानी का कारण बनने की इजाजत नहीं देगा।