Farmer Protest / 'हमें भटकाने की हो रही कोशिश, लागू हो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट'- किसान नेता पंढेर की मांग

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार और किसानों के बीच बातचीत एक बार फिर फेल हो गई और किसानों ने 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है। किसानों ने सरकार के 5 फसलों पर एमएसपी गारंटी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार के इस प्रस्ताव से किसानों का कोई भला नहीं होनेवाला है, इसलिए वे इसे मानने को तैयार नहीं है। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार टाइम पास करने की कोशिश कर रही है।

Vikrant Shekhawat : Feb 20, 2024, 08:31 AM
Farmer Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार और किसानों के बीच बातचीत एक बार फिर फेल हो गई और किसानों ने 21 फरवरी को दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है। किसानों ने सरकार के 5 फसलों पर एमएसपी गारंटी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकार के इस प्रस्ताव से किसानों का कोई भला नहीं होनेवाला है, इसलिए वे इसे मानने को तैयार नहीं है। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार टाइम पास करने की कोशिश कर रही है। 

हमें भटकाने की कोशिश कर रही सरकार- सरवन सिंह पंढेर

किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि लीगल गारंटी कानून के जरिए सरकार हमें भटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मांग की है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करे। उन्होंने कहा-'हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या बैरिकेड्स हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने की इजाजत दी जाए।'

23 फसलों पर एमएसपी के लिए सरकार राजी नहीं-किसान संगठन

किसानों का कहना है कि सरकार 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे, लेकिन सरकार इस प्रस्ताव पर राजी नहीं है। सरकार की ओर से केवल 5 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दी गई है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के साथ ही किसान संगठनों ने ऐलान कर दिया है कि वे 21 फरवरी सुबह 11 बजे दिल्ली कूच करेंगे।

सरकार की नीयत साफ नहीं-डल्लेवाल

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है, सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा किसान चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का फॉर्मूला तय करे। सरकार की ओर से  किसानों को जो प्रस्ताव दिया गया है, उससे किसानों को कोई फायदा नहीं होनेवाला है। डल्लेवाल ने कहा कि सरकार को अब निर्णय लेना चाहिए, और उन्हें लगता है कि आगे चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। 

जितने का पाम ऑयल सरकार खरीदती है उतने पैसे एमएसपी के लिए दे-डल्लेवाल

डल्लेवाल ने कहा  कहा कि चौथे दौर की बातचीत में केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि अगर सरकार दालों की खरीद पर गारंटी देती है तो इससे सरकारी खजाने पर 1.50 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। डल्लेवाल ने एक कृषि विशेषज्ञ की गणना का हवाला देते हुए कहा कि अगर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए तो 1.75 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये का ताड़ का तेल (पाम ऑयल) खरीदती है और अगर ये 1.75 लाख करोड़ रुपये एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सुनिश्चित करके अन्य फसलों को उगाने पर खर्च किए जाते हैं तो इससे सरकार पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। 

सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कई फायदा नहीं-डल्लेवाल

उन्होंने कहा कि एमएसपी पर पांच फसलें खरीदने का केंद्र का प्रस्ताव केवल उन लोगों के लिए होगा जो फसल विविधीकरण अपनाते हैं यानी एमएसपी केवल उन्हीं को दिया जाएगा जो धान के बजाय दलहन की खेती करेंगे और धान की जगह मूंग की फसल उगाने वालों को यह नहीं दिया जाएगा। डल्लेवाल ने कहा कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसान सभी 23 फसलों पर एमएसपी की मांग कर रहे है और एमएसपी कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है। डल्लेवाल ने दावा किया कि सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर फसलों के मूल्य किसानों के लिए लाभकारी आय सुनिश्चित नहीं कर सकतीं। 

सरकार ने पांच वर्षीय समझौते का दिया था प्रस्ताव 

दरअसल, किसानों के साथ बातीच के बाद तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव दिया था। तीन केंद्रीय मंत्रियों - पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय की समिति ने चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान किसानों के सामने यह प्रस्ताव रखा था। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘‘भटकाने और कमजोर करने’’ की कोशिश की गई है और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए 'सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’ फूर्मला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।