Vikrant Shekhawat : Mar 19, 2022, 03:03 PM
केंद्र सरकार ने गंगा नदी से निकाले गए गंदे पानी से कमाई की योजना बनाई है। जल्द ही सरकार सीवेज के उपचारित पानी को बेचना शुरू करेगी। इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लि. (IOCL) को जल्द इसकी बिक्री शुरू की जाएगी। गंगा तट से रोजाना करीब 12 हजार लाख लीटर (MLD) सीवेज पानी निकलता है। स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के महानिदेशक अशोक कुमार का कहना है कि एक माह में आईओसी को इस पानी की आपूर्ति शुरू करने के साथ इस उपचारित पानी की बिक्री शुरू हो जाएगी। कुमार ने बताया कि गंगा के उपचारित पानी की बिक्री की शुरुआत हम मथुरा से कर रहे हैं। करीब 20 एमएलडी पानी आईओसीएल को दिया जाएगा। वहां आईओसी की रिफाइनरी है। मथुरा एसटीपी से आईओसीएल को उसकी जरूरत का पानी दिया जाएगा। एकाध माह में इसकी शुरुआत हो जाएगी और देश में पहली बार कोई ऑयल रिफाइनरी उपचारित जल का इस्तेमाल करेगी। नहाने योग्य होता है पानीउन्होंने बताया कि गंगा से निकाला गया गंदा व सीवेज का पानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) में उपचारित किया जाता है। इसके बाद यह उद्योगों को बेचने के लिए उपयुक्त हो जाता है। कुमार के अनुसार उपचारित पानी नहाने योग्य स्तर का होता है। उद्योगों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। उपचारित जल के उद्योगों में इस्तेमाल से नदियों के अच्छे व साफ पानी का उपयोग कम होगा।पहले उद्योगों के लिए उपचारित जल बहुत कम मिलता था, क्योंकि एसटीपी की संख्या बहुत कम थी। ये कई वर्षों पहले बनाई जा चुकी थीं, लेकिन इनमें से कुछ एसटीपी में तो बिजली का कनेक्शन तक नहीं था। इसलिए ये नहीं चल पा रही थीं। एसटीपी में आने वाले पानी की गुणवत्ता पर भी निगरानी की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब ये एसटीपी चालू हो गई हैं, इसलिए हमने इनके मुद्रीकरण की योजना बनाई है। अब 'अर्थ गंगा' का ध्यानएनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि हम आयुष मंत्रालय से भी बात कर रहे हैं कि प्राकृतिक कृषि के रूप में नदी तटों के किनारे इस पानी से औषधीय पौधों को कैसे उगाया जा सकता है। इससे किसानों अपनी आजीविका के लिए नदी तटों पर औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि एनएमसीजी का फोकस अब 'अर्थ गंगा' पर है। इसका आशय है कि लोगों को नदियों से रूप से जोड़ना और दोनों के बीच आर्थिक रिश्ता बनाना। अर्थ गंगा के लिए हम बीते दो माह से गहन रूप से काम कर रहे हैं। मोदी सरकार ने वर्ष 2015 'नमामी गंगे' मिशन शुरू किया है। इसका मकसद गंगा शुद्धिकरण की तमाम योजनाओं का एकीकरण करना है। इस कार्यक्रम के तहत 30,255 करोड़ रुपये की लागत से कुल 347 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।