Isro : Sep 08, 2019, 07:00 AM
(Chandrayaan-2 mission) ने 90-95% तक अपने उद्देश्य पूरे किए हैं। बतौर इसरो, ऑर्बिटर पहले ही निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जा चुका है, जो चंद्रमा से जुड़ी समझ को समृद्ध करेगा। इसरो के मुताबिक, ऑर्बिटर (orbiter) कैमरा हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें भेजेगा, जो दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी साबित होंगी। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-2 बेहद जटिल मिशन था, जो कि इसरो के पिछले मिशन की तुलना में तकनीकी रूप से बेहद उच्च कोटि का था। इस मिशन में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जानकारी लेने के लिए भेजा गया था।इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-2 के साथ गया ऑर्बिटर अपनी कक्षा में स्थापित हो चुका है और ये अगले 7 साल तक काम कर सकता है। पहले एक साल तक ही इसके काम करने की गुंजाइश थी। इसरो ने बताया कि ये मिशन इस रूप में अपने आप में अनूठा कि इसका मकसद न सिर्फ चांद के एक पक्ष को देखना था बल्कि इसका उद्देश्य चांद के सतह (surface), सतह के आगे के हिस्से (Sub surface) और बाहरी वातावरण (Exosphere) का अध्ययन करना था। इसरो के मुताबिक ऑर्बिटर को इसकी कक्षा में स्थापित किया जा चुका है और ये चांद की परिक्रमा कर रहा है। इसरो का कहना है कि ऑर्बिटर से मिलने वाले आंकड़ों से चांद की उत्पति, इसपर मौजूद खनिज और जल के अणुओं की जानकारी मिलेगी।इसरो ने बताया कि ऑर्बिटर में उच्च तकनीक के 8 वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं। ऑर्बिटर में लगा कैमरा चांद के मिशन पर गए सभी अभियानों में अबतक का सबसे ज्यादा रेजूलेशन का है। इस कैमरे से आने वाली तस्वीर उच्च स्तर की होगी और दुनिया वैज्ञानिक बिरादरी इसका फायदा उठा सकेगी। इसरो का कहना है कि ऑर्बिटर की पहले के अनुमान से ज्यादा 7 साल तक काम करने में सक्षम हो सकेगा। विक्रम लैंडर की जानकारी देते हुए इसरो ने कहा कि लैंडिंग के दौरान विक्रम अपने निर्धारित रास्ते पर ही था, लेकिन चंद्रमा की सतह से मात्र 2 किलोमीटर पहले इसका कंट्रोल रुम से संपर्क टूट गया।इसरो का कहना है कि 2 किलोमीटर से पहले तक विक्रम लैंडर का पूरा सिस्टम और सेंसर शानदार तरीके से काम कर रहा था। इस दौरान कई नई तकनीक जैसे कि variable thrust propulsion ठीक काम भी कर रहा था। इसरो ने कहा कि चंद्रयान के हर चरण के लिए सफलता का मापदंड निर्धारित किया गया था और अब तक 90 से 95 प्रतिशत तक मिशन के लक्ष्य को हासिल करने में सफलता मिली है। इसरो का कहना है कि हालांकि लैंडर से अबतक संपर्क स्थापित नहीं हो सकता है कि लेकिन चंद्रयान-2 चंद्र विज्ञान में अपना योगदान देता रहेगा।