बड़ा खुलासा / Chandrayaan-2 की लॉन्च तारीख नहीं थी सही, प्रमाण है पुराना इतिहास!

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 पिछले साल 22 जुलाई को दोपहर 2।43 बजे लॉन्च किया गया था। इस मून मिशन को देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया था। लेकिन, चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए जो तारीख चुनी गई थी, वह इसरो के लिए सही नहीं साबित हुई है। इस बात का प्रमाण इसको की लॉन्चिंग्स की पुरानी लिस्ट देखने से पता चलती है।

AajTak : Jul 24, 2020, 09:38 AM
Chandrayaan-2: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का दूसरा मून मिशन Chandrayaan-2 पिछले साल 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे लॉन्च किया गया था। इस मून मिशन को देश के सबसे ताकतवर बाहुबली रॉकेट GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया था। लेकिन, चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए जो तारीख चुनी गई थी, वह इसरो के लिए सही नहीं साबित हुई है। इस बात का प्रमाण इसको की लॉन्चिंग्स की पुरानी लिस्ट देखने से पता चलती है।

आज से करीब 32 साल पहले 22 जुलाई को हुई लॉन्चिंग पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई थी। इसके बाद पिछले साल इसरो ने इसी तारीख को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग कर दी। वैज्ञानिक घटनाएं खगोलीय गणनाओं पर आधारित होती हैं लेकिन पुराने प्रमाणों का क्या किया जाए। आइए जानते हैं कि 32 साल पहले इसी तारीख पर की गई लॉन्चिंग क्या थी।

आज से करीब 32 साल पहले 22 जुलाई 1988 को इसरो ने INSAT-1C लॉन्च किया था। इनसैट-1सी को कोराऊ स्थित यूरोपियन लॉन्च पैड से एरियन-3 रॉकेट के जरिए छोड़ा गया। लेकिन मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।

इनसैट-1सी के संचार संबंधी 12 सी-बैंड ट्रांसपोंडर्स में से 6 ही काम कर पाए। वहीं, 2 एस-बैंड ट्रांसपोंडर्स ने काम ही नहीं किया। लेकिन इसरो को मौसम संबंधी तस्वीरे कई सालों तक मिलती रहीं।

इन 5 महीनों में मिली है इसरो को 100% सफलता

जनवरी, फरवरी, मई, अक्टूबर और नवंबर में लॉन्चिंग करने पर इसरो को 100% सफलता मिलती है। इसरो ने 44 साल में यानी 1975 से अब तक अलग-अलग वर्षों में जनवरी महीने में 9 स्पेसक्राफ्ट मिशन किए, सभी सफल रहे। इसी तरह फरवरी में 5, मई में 10, अक्टूबर में 7 और नवंबर में 5। ये सभी 100% सफल रहे।

इन 5 महीनों में सक्सेस रेट रहता है 87 से 94%

मार्च, अप्रैल, जून, सितंबर और दिसंबर में इसरो को 87 से 94 फीसदी सफलता मिली है। अलग-अलग वर्षों में मार्च महीने में इसरो ने कुल 8 स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए। इनमें से एक 24 मार्च 1987 को फेल हो गया था। सक्सेस रेट रहा 87।5%। इसी तरह, जून महीने में 8 लॉन्चिंग हुई लेकिन एक 4 जून 1997 की लॉन्चिंग फेल रही। यानी सक्सेस रेट है 87 फीसदी रही।

दिसंबर महीने में इसरो ने 9 लॉन्चिंग की। लेकिन 25 दिसंबर 2010 को की गई लॉन्चिंग फेल हो गई। सक्सेस रेट 88।8 फीसदी रही है। सितंबर महीने में इसरो ने 11 लॉन्चिंग की। इनमें से 20 सितंबर 1993 को की गई लॉन्चिंग फेल हो गई। सक्सेस रेट 90।91% रहा है। अप्रैल महीने में इसरो ने सबसे ज्यादा 17 लॉन्चिंग की हैं। इनमें से अब तक एक 10 अप्रैल 1982 की लॉन्चिंग फेल रही।

जुलाई-अगस्त में लॉन्चिंग सक्सेस रेट सबसे कम

इसरो ने 1975 से अब तक जुलाई महीने में 10 और अगस्त में 6 लॉन्चिंग की है। जुलाई महीने में तीन लॉन्चिंग फेल हुई थी। पहली- 10 जुलाई 2006 को इनसैट-4सी, दूसरी - 22 जुलाई 1988 को इनसैट-1सी और तीसरी - 13 जुलाई 1988 को एसआरओएसएस की लॉन्चिंग फेल हो गई थी। यानी सक्सेट सबसे कम 57।15% रहा है। अगस्त में अब तक 6 लॉन्चिंग हुई है। पहली विफलता 10 अगस्त 1979 को और दूसरी 31 अगस्त 2017 को मिली। यानी सक्सेस रेट 66।67 फीसदी रहा।

पिछली साल इसरो चीफ डॉ। के। सिवन ने कहा था अब हर महीने इसरो लॉन्चिंग करेगा। यानी हर साल 10 से 12 लॉन्चिंग करेगा। लॉन्चिंग की सफलता और असफलता के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसमें मौसम, तकनीकी वजहें आदि शामिल हैं।