Vikrant Shekhawat : Feb 11, 2021, 09:57 AM
कोरोना के शुरुआती मामले चीन के जिस वुहान शहर से आए, वहां WHO की टीम पहुंची है। 14 जनवरी को पहुंची इस टीम ने मंगलवार यानी 9 फरवरी को पहली बार अब तक की जांच के बारे में बताया, लेकिन जो बताया, वो WHO की जांच का नतीजा कम और चीन के प्रोपेगेंडा का समर्थन ज्यादा लग रहा है।
वो प्रोपेगेंडा जिसमें चीन कभी भारत, तो कभी ब्राजील, तो कभी यूरोप के देशों को घसीटता रहा है। वो प्रोपेगेंडा जिसमें कोरोना वायरस को चीन से नहीं, बल्कि किसी और देश से आने की बात की जाती है। जिसका दुनिया के किसी भी दूसरे देश ने अब तक समर्थन नहीं किया है।
मंच WHO का, बोल चीन के और निशाना भारत पर:WHO की टीम के साथ चीनी वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं। चीनी वैज्ञानिकों के प्रमुख लियांग वानियन हैं। उन्होंने WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोरोना के शुरुआती केस सी-फूड मार्केट के आसपास के इलाके के अलावा बाकी शहर में भी आए थे। ऐसे में हो सकता है कि वायरस इस सी-फूड मार्केट की जगह कहीं और से आया हो।
इस थ्योरी का अब तक चीन के अलावा किसी भी देश ने समर्थन नहीं किया है, लेकिन WHO के मंच से चीन ने अपने इस प्रोपेगेंडा को एक बार फिर से रखा। उसका इशारा भारत और ब्राजील जैसे देशों की ओर था क्योंकि चीन ने नवंबर में दावा किया था कि 2019 की गर्मियों में कोरोना भारत में पैदा हुआ। जानवरों से होकर गंदे पानी के जरिए ये इंसानों में पहुंचा। यहां से दुनिया में फैला।
वहीं, दिसंबर 2020 में चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ब्राजील से आए फ्रोजन फूड में कोरोना के जिंदा वायरस मिले थे। हालांकि, उस वक्त WHO ने चीन के इस दावे को खारिज किया था।
कैसे फैला कोरोना, इसे लेकर साफ-साफ कुछ नहीं कहा:WHO के फूड सेफ्टी और एनिमल डिजीज एक्सपर्ट पीटर बेन एम्बर्क ने कहा कि ये मिशन वायरस के सोर्स का पता लगाने का पहला कदम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हो सकता है कि ये वायरस किसी जंगली जानवर से इंसानों तक पहुंचा हो। जैसे- पैंगोलिन या बैंबू रैट। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि ये सीधे चमगादड़ से इंसानों में आया हो। और ये भी संभव है कि ये वायरस फ्रोजन फूड के जरिए इंसानों तक पहुंचा हो।
WHO की जांच पर अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने उठाए सवाल:अमेरिकी संस्था AIDS हेल्थकेयर फाउंडेशन ने इस जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। संस्था का कहना है कि इस जांच दल में ऐसे लोग शामिल हैं जिनका चीन की ओर झुकाव है। कुछ वैज्ञानिकों पर तो कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट का भी मामला बनता है। इस तरह की किसी भी जांच में तब तक सही कारण सामने नहीं आएंगे, जब तक पूरी तरह से स्वतंत्र जांच दल वुहान में जाकर जांच नहीं करेगा।
ग्लोबल हेल्थ पर काम करने वाले यानझोंग हुआन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि ये पूरी तरह से चीन के प्रभाव में उसके हिसाब से की गई जांच है। वो कहते हैं कि WHO को चीन पर जरूरी डेटा और एक्सेस के लिए दबाव बनाना होगा। अभी ये टीम चीन सरकार के तय पैरामीटर पर काम कर रही है। इससे बहुत कुछ नहीं निकलेगा।कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोरोना फैलने के लिए दूसरे देशों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश होती है तो ये जांच अपने मकसद से भटक जाएगी। कोरोना के शुरुआती दिनों में क्या हुआ। इसका पता लगाने के लिए चीन में ये जांच बहुत अहम है, जिससे आगे किसी दूसरी महामारी को रोका जा सके।
हुनान के सी-फूड मार्केट से कोरोना फैलने वाली थ्योरी पर WHO की टीम ने क्या कहा?WHO की टीम में शामिल नीदरलैंड के वायरोलॉजिस्ट मरियॉन कूपमेंस ने कहा कि इस सी-फूड मार्केट में खरगोश और बैम्बू रैट जैसे कुछ ऐसे जानवर बिकते हैं, जो चमगादड़ के करीबी संपर्क में रहते हैं और इनसे कोरोना फैलने की आशंका बहुत ज्यादा है।
WHO टीम वुहान ही क्यों गई है?दुनिया में सबसे पहले वुहान में ही कोरोना के मामले सामने आए थे। इसी वजह से WHO ने वुहान को चुना है। दिसंबर 2019 में वुहान के लोग इस संक्रमण की चपेट में आना शुरू हुए। इनमें से ज्यादातर लोगों का संबंध यहां के बड़े सी-फूड मार्केट से था। तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने जांच के लिए टीम भेजी। 23 जनवरी 2020 को यहां लॉकडाउन लगा दिया गया। मार्च में यहां कोरोना काबू में आया, लेकिन तब तक बहुत नुकसान कर चुका था। 76 दिन बाद आठ अप्रैल को वुहान से लॉकडाउन हटाया गया।
वो प्रोपेगेंडा जिसमें चीन कभी भारत, तो कभी ब्राजील, तो कभी यूरोप के देशों को घसीटता रहा है। वो प्रोपेगेंडा जिसमें कोरोना वायरस को चीन से नहीं, बल्कि किसी और देश से आने की बात की जाती है। जिसका दुनिया के किसी भी दूसरे देश ने अब तक समर्थन नहीं किया है।
मंच WHO का, बोल चीन के और निशाना भारत पर:WHO की टीम के साथ चीनी वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं। चीनी वैज्ञानिकों के प्रमुख लियांग वानियन हैं। उन्होंने WHO की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कोरोना के शुरुआती केस सी-फूड मार्केट के आसपास के इलाके के अलावा बाकी शहर में भी आए थे। ऐसे में हो सकता है कि वायरस इस सी-फूड मार्केट की जगह कहीं और से आया हो।
इस थ्योरी का अब तक चीन के अलावा किसी भी देश ने समर्थन नहीं किया है, लेकिन WHO के मंच से चीन ने अपने इस प्रोपेगेंडा को एक बार फिर से रखा। उसका इशारा भारत और ब्राजील जैसे देशों की ओर था क्योंकि चीन ने नवंबर में दावा किया था कि 2019 की गर्मियों में कोरोना भारत में पैदा हुआ। जानवरों से होकर गंदे पानी के जरिए ये इंसानों में पहुंचा। यहां से दुनिया में फैला।
वहीं, दिसंबर 2020 में चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ब्राजील से आए फ्रोजन फूड में कोरोना के जिंदा वायरस मिले थे। हालांकि, उस वक्त WHO ने चीन के इस दावे को खारिज किया था।
ट्रम्प जिसे चीनी लैब से फैला वायरस बताते रहे, उस थ्योरी को किया खारिज:14 जनवरी को WHO की टीम वुहान पहुंची। 14 दिन क्वॉरैंटाइन रही। उसके बाद 12 दिन तक वुहान की अलग-अलग साइट्स पर जाकर जांच की। मंगलवार को इस टीम ने वुहान की लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी को खारिज कर दिया। कहा- लैब से कोरोना फैलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। हालांकि, ये नहीं बताया कि असल में कोरोना वुहान कैसे पहुंचा और कैसे दुनिया में फैला। ये बात और है कि इस टीम ने कोरोना फैलने के कुछ संभावित कारण जरूर बताए।LIVE from Wuhan : Media briefing on #COVID19 origin mission https://t.co/WGpRGsd8vE
— World Health Organization (WHO) (@WHO) February 9, 2021
कैसे फैला कोरोना, इसे लेकर साफ-साफ कुछ नहीं कहा:WHO के फूड सेफ्टी और एनिमल डिजीज एक्सपर्ट पीटर बेन एम्बर्क ने कहा कि ये मिशन वायरस के सोर्स का पता लगाने का पहला कदम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हो सकता है कि ये वायरस किसी जंगली जानवर से इंसानों तक पहुंचा हो। जैसे- पैंगोलिन या बैंबू रैट। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि ये सीधे चमगादड़ से इंसानों में आया हो। और ये भी संभव है कि ये वायरस फ्रोजन फूड के जरिए इंसानों तक पहुंचा हो।
WHO की जांच पर अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने उठाए सवाल:अमेरिकी संस्था AIDS हेल्थकेयर फाउंडेशन ने इस जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। संस्था का कहना है कि इस जांच दल में ऐसे लोग शामिल हैं जिनका चीन की ओर झुकाव है। कुछ वैज्ञानिकों पर तो कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट का भी मामला बनता है। इस तरह की किसी भी जांच में तब तक सही कारण सामने नहीं आएंगे, जब तक पूरी तरह से स्वतंत्र जांच दल वुहान में जाकर जांच नहीं करेगा।
ग्लोबल हेल्थ पर काम करने वाले यानझोंग हुआन ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा कि ये पूरी तरह से चीन के प्रभाव में उसके हिसाब से की गई जांच है। वो कहते हैं कि WHO को चीन पर जरूरी डेटा और एक्सेस के लिए दबाव बनाना होगा। अभी ये टीम चीन सरकार के तय पैरामीटर पर काम कर रही है। इससे बहुत कुछ नहीं निकलेगा।कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोरोना फैलने के लिए दूसरे देशों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश होती है तो ये जांच अपने मकसद से भटक जाएगी। कोरोना के शुरुआती दिनों में क्या हुआ। इसका पता लगाने के लिए चीन में ये जांच बहुत अहम है, जिससे आगे किसी दूसरी महामारी को रोका जा सके।
हुनान के सी-फूड मार्केट से कोरोना फैलने वाली थ्योरी पर WHO की टीम ने क्या कहा?WHO की टीम में शामिल नीदरलैंड के वायरोलॉजिस्ट मरियॉन कूपमेंस ने कहा कि इस सी-फूड मार्केट में खरगोश और बैम्बू रैट जैसे कुछ ऐसे जानवर बिकते हैं, जो चमगादड़ के करीबी संपर्क में रहते हैं और इनसे कोरोना फैलने की आशंका बहुत ज्यादा है।
WHO टीम वुहान ही क्यों गई है?दुनिया में सबसे पहले वुहान में ही कोरोना के मामले सामने आए थे। इसी वजह से WHO ने वुहान को चुना है। दिसंबर 2019 में वुहान के लोग इस संक्रमण की चपेट में आना शुरू हुए। इनमें से ज्यादातर लोगों का संबंध यहां के बड़े सी-फूड मार्केट से था। तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन की सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने जांच के लिए टीम भेजी। 23 जनवरी 2020 को यहां लॉकडाउन लगा दिया गया। मार्च में यहां कोरोना काबू में आया, लेकिन तब तक बहुत नुकसान कर चुका था। 76 दिन बाद आठ अप्रैल को वुहान से लॉकडाउन हटाया गया।