Vikrant Shekhawat : Nov 29, 2023, 10:18 PM
Telangana Election: तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटों के लिए गुरुवार को वोटिंग होगी. राज्य में के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की पार्टी BRS की सरकार है. उसे सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला. सोनिया गांधी खराब स्वास्थ्य के कारण राज्य में तो नहीं जा पाईं, लेकिन उन्होंने मंगलवार को वीडियो मैसेज के जरिए तेलंगाना के लोगों से भावुक अपील की. राहुल और प्रियंका ने खूब प्रचार भी किया.इस बीच, कांग्रेस ने दलित कार्ड भी खेल दिया है. वोटिंग से कुछ घंटे पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर लिखी किताब का विमोचन हुआ. सोनिया गांधी ने बुधवार को दिल्ली में किताब को लॉन्च किया. खरगे कांग्रेस के दलित चेहरा हैं और तेलंगाना में 15 फीसदी आबादी दलितों की है. दरअसल, कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने के लिए दलित वोटों की तरफ देख रही है. इन वोटों को खींचने के लिए कांग्रेस का ये बड़ा दांव हो सकता है.बुक लॉन्च से कांग्रेस ने तेलंगाना के दलितों को मैसेज भी दिया है. पार्टी ने पहले तो खरगे को अध्यक्ष बनाया और अब वोटिंग से ठीक पहले उनकी किताब भी जनता के बीच आई. तेलंगाना के दलित वोटर्स में इससे ये संदेश जाएगा कि कांग्रेस पार्टी उनके लिए सोच रही है और किताब की लॉन्चिंग वोटिंग से ठीक पहले हुई है, जो वोटर्स के दिमाग में ताजा रहेगा.खरगे का केसीआर पर सीधा हमलामल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव प्रचार के दौरान केसीआर पर सीधा हमला भी बोला था. उन्होंने राव पर अपने चुनाव पूर्व वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया. खरगे ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने पिछले 10 वर्षों में राज्य को लूट लिया. खरगे ने तेलंगाना राज्य के गठन का श्रेय सोनिया गांधी को दिया था. उन्होंने केसीआर पर ये भी आरोप लगाया कि वह फार्महाउस में रहते हैं और लोगों से नहीं मिलते हैं. खरगे का ये हमला बताता है कि केसीआर के खिलाफ कांग्रेस पूरे होमवर्क के साथ उतरी और दलितों वोटर्स पर उसका फोकस रहा.राहुल गांधी ने भी लगाया पूरा दमवैसे तो कांग्रेस और राहुल पांचों राज्यों में जीतने की आस लगाए हैं, लेकिन तेलांगना को लेकर राहुल गांधी की अरसे से चली आ रही रणनीति बता रही है कि वो किसी सपने को साकार करने में जुटे हैं. भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस तेलंगाना में बिखरी पड़ी थी, ज़्यादातर नेता पार्टी छोड़ बीआरएस या बीजेपी में चले गए थे. खुद कांग्रेस का आंतरिक सर्वे बता रहा था कि कांग्रेस बीआरएस और बीजेपी के बाद नंबर तीन पर चल रही है. ऐसे में राहुल गांधी ने तेलंगाना को लेकर खास रणनीति तैयार की.राहुल ने करीबियों से कहा कि तेलंगाना बनाने के लिए उस वक्त पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को तमाम मुश्किलें झेलनी पड़ीं, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में पार्टी शून्य पर चली गई और फिर भी 10 सालों से यहां सत्ता में नहीं आ सके.कांग्रेस आक्रामक हो गई. बीआरएस, बीजेपी और ओवैसी को एक ही थाली का चट्टा बट्टा बताने की दिशा में चल निकली. राहुल के कहने पर ही पार्टी की कार्यसमिति की बैठक का आयोजन किसी सत्ताधारी राज्य के बजाय तेलंगाना में किया गया. उन्होंने 5 राज्यों में तेलंगाना पर सबसे ज़्यादा समय और ज़ोर दिया. खुद राहुल बाकी राज्यों में प्रचार तो कर रहे हैं लेकिन अंदरखाने वहां की रोजमर्रा की रणनीति का जिम्मा मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी ने संभाला. राहुल और कांग्रेस जानती है कि उत्तर भारत में बीजेपी की मजबूती का मुकाबला वो कुछ हद तक वो दक्षिण भारत में बीजेपी को विस्तार करने से रोक कर कर सकती है.