Coronavirus / डेंगू के साथ और घातक हो सकता है कोरोना, यहां पढ़ें क्या कह रहे हैं वैज्ञानिक

पहले डेंगू की चपेट में आ चुका व्यक्ति अब अगर कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी जांच रिपोर्ट गलत आ सकती है। दरअसल, डेंगू के साथ मिलकर कोरोना वायरस जांच को चकमा दे रहा है। डेंगू और कोरोना दोनों के ही एंटीबॉडी मिश्रित होकर जांच पर असर डालते हैं, जिसके चलते फाल्स पॉजिटिव रिपोर्ट आने की आशंका बढ़ जाती है।

AMAR UJALA : Jul 12, 2020, 07:28 AM
Coronavirus: पहले डेंगू की चपेट में आ चुका व्यक्ति अब अगर कोरोना संक्रमित होता है तो उसकी जांच रिपोर्ट गलत आ सकती है। दरअसल, डेंगू के साथ मिलकर कोरोना वायरस जांच को चकमा दे रहा है। डेंगू और कोरोना दोनों के ही एंटीबॉडी मिश्रित होकर जांच पर असर डालते हैं, जिसके चलते फाल्स पॉजिटिव (झूठा संक्रमण) रिपोर्ट आने की आशंका बढ़ जाती है।

सीएसआईआर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बॉयोलॉजी, आईपीजेएमईआर, कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने मिलकर डेंगू व कोरोना की एंटीबॉडी पर अध्ययन किया है। इस दौरान इन्होंने वर्ष 2017 में डेंगूग्रस्त मरीजों की एंटीबॉडी और कोरोना की एंटीबॉडी, दोनों पर परीक्षण किए। पता चला है कि 13 में से पांच सैंपल ने फाल्स पॉजिटिव रिपोर्ट दी।

यानि किसी को कोरोना न होते हुए भी उसके संक्रमित होने की रिपोर्ट आई। मानसून में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे मच्छरजनित रोग सालाना हजारों लोगों को चपेट में लेते हैं। वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि कोरोना काल में इन रोगों को लेकर एहतियात की जरूरत है। सीरो सर्वे या एंटीबॉडी जांच के दौरान यह पूछा जाना चाहिए कि व्यक्ति को कभी डेंगू हुआ था या नहीं। अगर वह पहले डेंगूग्रस्त था तो उसकी एंटीजन जांच जरूरी है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल पहले ही मानसून को लेकर सतर्कता बरतने की अपील कर चुके हैं। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने कहा था कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों में भी कोरोना जैसे लक्षण मिलते हैं। इसीलिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मानसून को लेकर राज्यों को अलर्ट पर रहते हुए कोरोना संकट से जूझने पर जोर देने के लिए भी कहा था।

दो तरह की किट में परिणाम एक जैसे

अध्ययन के दौरान डेंगू एंटीबॉडी को लेकर कोरोना की एंटीबाडी आईजीजी व आईजीएम का परीक्षण किया गया तो दो अलग-अलग तरह की किटों का इस्तेमाल करने के बाद भी फाल्स पॉजिटिव सामने आया। कोलकाता स्थित आईपीजीएमईआर के पैथोलॉजी विभाग के डॉ. केया बासु ने बताया कि देश में कोरोना के फैलाव का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर और एंटीजन के अलावा एंटीबॉडी जांच पर भी ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में डेंगू की एंटीबॉडी है तो कोरोना का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। इन दोनों के बीच कुछ एंटीजेनिक समानताएं हैं, जिन्हें नजरदांज नहीं किया जा सकता है।

सिंगापुर में भी मिल चुके हैं केस

सीएसआईआर-आईआईसीबी के इन्फेक्शन डिसीज एंड इम्यूनोलॉजी डिवीजन के प्रो. सुब्रत राय का कहना है कि रैपिड एंटीबॉडी किट्स के जरिए डेंगू और कोरोना जांच की गई थी ताकि दोनों में समानता होने या न होने का पता चल सके। सिंगापुर में भी इस तरह के मामले मिल चुके हैं। अध्ययन में पता चला है कि कोरोना के शुरूआती लक्षण डेंगू के रूप में गुमराह कर सकते हैं। क्योंकि दोनों के बुखार में काफी समानता है।

हर साल मिल रहे डेंगू के हजारों मरीज

देश में हर साल डेंगू के हजारों मरीज मिलते हैं। नेशनल वैक्टर बोन डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के अनुसार वर्ष 2015 में डेंगू के 99,913 मरीज मिले थे, जिनमें से 220 की मौत हुई थी। 2016 में 129166, 2017 में 186401, 2018 में 101192 और 2019 में सर्वाधिक 136422 मरीज मिले और क्रमश: 245, 325,172 और 132 की मौत भी हुई है। इस साल डेंगू की व्यवस्थित रिपोर्टिंग न होने से आंकड़े एकत्रित नहीं हुए हैं।