Corona Vaccine / US ने माना, कोरोना के अल्फा-डेल्टा वेरिएंट्स को खत्म करती है कोवैक्सीन

भारत बायोटेक की बनाए स्वेदशी कोरोना रोधी टीके कोवैक्सीन के असर को अब अमेरिका ने भी मान लिया है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने पाया है कि कोवैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट्स से लड़ने में कारगर है। बता दें कि कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने बनाया है।

Vikrant Shekhawat : Jun 30, 2021, 09:42 AM
Corona Vaccine: भारत बायोटेक की बनाए स्वेदशी कोरोना रोधी टीके कोवैक्सीन के असर को अब अमेरिका ने भी मान लिया है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने पाया है कि कोवैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडीज कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वेरिएंट्स से लड़ने में कारगर है। बता दें कि कोवैक्सीन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत बायोटेक ने बनाया है। 

एनआईएच ने बताया कि कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के ब्लड सीरम के अध्ययन से यह पता चलता है कि टीके से जो एंटीबॉडीज बनती हैं, वह ब्रिटेन और भारत में सबसे पहले मिले कोरोना के B.1.1.7 (अल्फा) और B.1.617 (डेल्टा) वेरिएंट्स पर असरदार है। 

बता दें कि इससे पहले अमेरिका के इंफेक्शन डिजीज एक्सपर्ट डॉक्टर एंथनी फाउची भी कई बार कोवैक्सीन की तारीफ कर चुके हैं। इसी साल फाउची ने कहा था कि भारत में बनी कोवैक्सीन कोरोना के 617 वेरिएंट्स को खत्म करने में सक्षम है। 

कोवैक्सीन को डेड कोरोना वायरस से बनाया गया है जो शरीर में इस वायरस से लड़ने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी का निर्माण करता है। कोवैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक, यह टीका पूरी तरह सुरक्षित है। 

कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे अभी प्रकाशित नहीं हुए हैं। हालांकि, अंतरिम नतीजों के मुताबिक, यह वैक्सीन सिम्पटोमैटिक मामलों में 78 फीसदी तक असरदार है तो वहीं असिम्पटोमैटिक मामलों में यह वैक्सीन 70 फीसदी तक असर करती है। इसके अलावा कोरोना के गंभीर मामलों में भी वैक्सीन अच्छे से कारगर है।