दुनिया / हांगकांग में शख्स को दूसरी बार हुआ Covid-19 संक्रमण, WHO ने कहा- जल्दबाजी न करें

चीन के बाद अब हांगकांग के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उनके पास कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति का एक प्रमाणित मामला है। हालांकि हांगकांग के दावे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि एक मरीज़ के मामले से किसी परिणाम पर नहीं पहुंचना चाहिए। इससे पहले चीन ने भी एक महिला और एक पुरुष के छह महीने के भीतर दूसरी बार संक्रमित हो जाने का दावा किया था।

News18 : Aug 25, 2020, 09:03 AM
हांगकांग। चीन (China) के बाद अब हांगकांग (Hong Kong) के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उनके पास कोरोना वायरस (Coronavirus) से दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति का एक प्रमाणित मामला है। हालांकि हांगकांग के दावे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि एक मरीज़ के मामले से किसी परिणाम पर नहीं पहुंचना चाहिए। इससे पहले चीन ने भी एक महिला और एक पुरुष के छह महीने के भीतर दूसरी बार संक्रमित हो जाने का दावा किया था। हांगकांग के मुताबिक, 30 साल से अधिक आयु का यह व्यक्ति पहली बार साढ़े चार महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ था।

हांगकांग वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के जीनोम में दो चीज़ें 'बिलकुल अलग' हैं, यह दोबारा संक्रमण होने का दुनिया का पहला मामला है। वैज्ञानिकों ने WHO की सलाह पर कहा है कि संगठन को हमारे पास मौजूद सबूतों को ध्यान में रखकर कोई बयान देना चाहिए। वहीं, अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि दोबारा संक्रमण होना बेहद दुर्लभ है और यह अधिक गंभीर हो ऐसा भी नहीं है। हांगकांग विश्वविद्यालय की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रमण से ठीक होने से पहले यह व्यक्ति 14 दिनों तक अस्पताल में रहा था, लेकिन एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान वो दोबारा कोरोना वायरस संक्रमित पाया गया है। हालांकि, उसमें इसके कोई लक्षण नहीं थे।


वैज्ञानिकों में मतभेद

लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन और ट्रोपिकल साइंस के प्रोफ़ेसर ब्रेंडन रेन कहते हैं कि यह दोबारा संक्रमण का बेहद दुर्लभ मामला है। वो कहते हैं कि इसकी वजह से कोविड-19 की वैक्सीन बेहद ज़रूरी हो जाती है और ऐसी आशंका है कि वायरस समय के साथ ख़ुद को बदलेगा। जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होते हैं उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम विकसित हो जाता है, जो वायरस को दोबारा लौटने से रोकता है। सबसे मज़बूत इम्यून उन लोगों का पाया जाता है जो गंभीर रूप से कोविड-19 से बीमार हुए हों। हालांकि, यह अभी भी साफ़ नहीं है कि यह सुरक्षा कितनी लंबी है और इम्युनिटी कब तक रह सकती है।