Vikrant Shekhawat : Jan 06, 2022, 08:21 AM
नई दिल्ली: केंद्र ने बुधवार को कहा कि भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह नए स्वरूप ओमिक्रॉन की वजह से है. इसने रेखांकित किया कि संक्रमण के प्रसार की गति को दर्शाने वाला पैमाना ‘आर नॉट वैल्यू' 2.69 है, जो महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान दर्ज की गई ‘आर नॉट वैल्यू' 1.69 से अधिक है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शहरों में कोविड के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है और 'ओमिक्रॉन का प्रसार प्रमुख है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि संक्रमण फैलने की गति को कम करने के लिए सामूहिक समारोहों से बचने की जरूरत है.नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने कहा, 'अब हम कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि का सामना कर रहे हैं और हम मानते हैं कि बड़े पैमाने पर, यह ओमिक्रॉन की वजह से है, विशेष रूप से हमारे देश के पश्चिमी हिस्सों में और यहां तक कि विशेष रूप से बड़े शहरों में जहां से हमारे पास अधिक डेटा है.'उन्होंने कहा कि गत 30 दिसंबर को संक्रमण दर 1.1 प्रतिशत थी और अगले दिन, यह 1.3 प्रतिशत हो गई तथा अब देश में पांच प्रतिशत की संक्रमण दर है. पॉल ने कहा कि इसी तरह, 30 दिसंबर को कोविड के 13,000 मामले थे और मंगलवार को यह संख्या बढ़कर 58,000 हो गई. स्पष्ट रूप से, यह एक फैलती हुई महामारी है. ‘आर नॉट वैल्यू' 2.69 है. यह 1.69 के उस आंकड़े से अधिक है जो हमने महामारी की दूसरी लहर के चरम पर देखी थी. मामलों का प्रसार पहले से कहीं अधिक तेज है.हालांकि, उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने की दर अपेक्षाकृत कम है. यह दिल्ली में 3.7 फीसदी और मुंबई में पांच फीसदी के करीब है. यह हमारे पास शुरुआती इनपुट है. इसकी तुलना में पिछले साल और यहां तक कि 2020 में भी अस्पताल में भर्ती होने की दर 20 फीसदी के करीब थी. हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को सतर्क, अनुशासित तथा तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश महामारी के इस चरण का भी सामना करेगा.यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर देखी जा रही है, पॉल ने कहा कि अन्य देशों में, यह देखा गया है कि तेजी से वृद्धि की तरह, मामलों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है. डेनमार्क, ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में, एक या डेढ़ महीने के भीतर मामलों में गिरावट शुरू हो गई. हम अपनी आबादी के लिए यह स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते. यह कैसे व्यवहार करता है, यह पिछले संक्रमणों, टीकाकरण की स्थिति और हमारी अपनी विशेषताओं और जनसंख्या घनत्व पर निर्भर करेगा. यह नहीं कहा जा सकता है कि जिस तरह एक महीने के भीतर मामलों की स्थिति वहां हुई, वह यहां भी होगी.नीति आयोग के सदस्य ने कहा, 'इस स्तर पर यह कहना कि यह किस बिंदु तक चलेगा और कितने समय तक, यह जल्दबाजी होगा. यदि कोई वैज्ञानिक डेटा आता है, तो हम साझा करेंगे.'ओमीक्रॉन के संबंध में, अधिकारियों ने कहा कि जहां देश भर में मामलों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है, वहीं महामारी की पिछली लहरों की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की दर अपेक्षाकृत कम रही है.भार्गव ने बताया कि टाटा एमडी और आईसीएमआर ने ओमीक्रोन का पता लगाने वाली आरटी-पीसीआर किट विकसित की है, और इसे भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) द्वारा अनुमोदित किया गया है. यह चार घंटे में परिणाम देगी और देश के जीनोम-अनुक्रमण प्रयासों को बढ़ाएगी. कोविड के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और त्वरित घरेलू परीक्षण तथा रैपिड-एंटीजन परीक्षण प्रमुख भूमिका निभाएंगे.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि विश्व स्तर पर कोविड के मामलों में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि चार जनवरी को वैश्विक स्तर पर 25.2 लाख मामले दर्ज किए गए, जो महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक हैं. भारत में पिछले आठ दिनों में कोविड के मामलों में 6.3 गुना वृद्धि दर्ज की गई है. संक्रमण दर में तीव्र वृद्धि हुई है और यह 29 दिसंबर के 0.79 प्रतिशत के आंकड़े से बढ़कर पांच जनवरी को 5.03 प्रतिशत तक हो गई है.''अग्रवाल ने कहा कि छह राज्यों – महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु में प्रत्येक में 10,000 से अधिक उपचाराधीन मामले हैं. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड और गुजरात में कोविड-19 मामलों में वृद्धि चिंता का विषय है. 28 जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक साप्ताहिक संक्रमण दर है, जबकि 43 जिलों में 5-10 प्रतिशत के बीच साप्ताहिक संक्रमण दर है.''केंद्र ने कहा कि भारत में 15-18 वर्ष की आयु के 1.06 करोड़ या 14.3 प्रतिशत किशोरों को कोविड रोधी की पहली खुराक दी गई है. इसने कहा कि देश में 15-18 वर्ष आयु वर्ग के अनुमानित तौर पर 7,40,57,000 किशोर हैं और वे टीकाकरण के लिए पात्र हैं. इसके अलावा, 90.8 प्रतिशत वयस्कों को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है, जबकि 65.9 प्रतिशत का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है.