Chaitra Navratri 2025 / इस बार नवरात्रि 8 दिन की होगी- घट स्थापना के लिए 4 घंटे और 49 मिनट का मुहूर्त

नवरात्र इस बार 8 दिन के होंगे, जो 30 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेंगे। घटस्थापना का श्रेष्ठ समय 30 मार्च को सुबह 6:26 से 10:26 बजे तक रहेगा। ग्रहों के दुर्लभ संयोग से राजनीतिक और पर्यावरणीय बदलाव संभव हैं। तृतीया तिथि क्षय होने के कारण नवरात्र केवल 8 दिन रहेंगे।

Chaitra Navratri 2025: बासंतिक नवरात्र इस वर्ष केवल 8 दिन के होंगे, जो 30 मार्च 2025, रविवार से प्रारंभ होकर 6 अप्रैल तक चलेंगे। इस बार तृतीया तिथि के क्षय होने के कारण नवरात्र 9 की बजाय 8 दिन के होंगे। 30 मार्च को घट स्थापना का श्रेष्ठ समय सूर्योदय से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा, जिसमें कुल 4 घंटे 40 मिनट के दो मुहूर्त होंगे।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

राजस्थान ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान, जयपुर के महासचिव प्रो. विनोद शास्त्री के अनुसार, बासंतिक नवरात्र 30 मार्च को प्रारंभ होंगे। इस दिन गणेश पूजन के पश्चात घट स्थापना करना शुभ माना जाता है।

  • सूर्योदय: 6:26 बजे

  • घट स्थापना का श्रेष्ठ समय: सुबह 6:26 से 10:26 बजे तक (चार घंटे का प्रातःकाल)

  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:09 से 12:49 बजे तक (यदि प्रातःकाल में न हो सके)

ग्रहों का दुर्लभ संयोग

प्रो. विनोद शास्त्री के अनुसार, इस वर्ष नवरात्र से एक दिन पूर्व 29 मार्च की रात 9:44 बजे शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा। इससे मीन, मेष और कुंभ राशि पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा। नवरात्र के दौरान सूर्य, बुध, शुक्र, शनि, राहु और चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे, जो कि 21वीं शताब्दी में पहली बार हो रहा है। यह ज्योतिषीय संयोग वैश्विक राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय बदलाव का संकेत देता है।

उपवास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

  • किन्हें उपवास से बचना चाहिए?

    • बालकों, वृद्धों और रोगियों के लिए कठिन उपवास वर्जित हैं।

  • कैसे करें व्रत?

    • साधक एवं गृहस्थ व्यक्ति 9 दिन तक एक समय फलाहार या हल्का आहार लेकर उपवास कर सकते हैं। नवमी तक व्रत रखना आवश्यक माना जाता है।

अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व

नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन नौ कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है। उन्हें भोजन कराकर वस्त्र और उपहार प्रदान किए जाते हैं। यदि अष्टमी को पूजन संभव न हो, तो इसे नवमी पर किया जा सकता है।

इस बार नवरात्र केवल 8 दिन के क्यों?

आमतौर पर नवरात्र 9 दिन के होते हैं, लेकिन इस वर्ष तृतीया तिथि क्षय होने के कारण यह केवल 8 दिन के रहेंगे। 31 मार्च को द्वितीया और तृतीया तिथि एक साथ पड़ रही हैं। चूंकि तृतीया तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी, इस कारण मां ब्रह्मचारिणी और मां चंद्रघंटा की संयुक्त पूजा इसी दिन होगी। धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि के दिनों में कमी शुभ नहीं मानी जाती। यह वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के संकेत दे सकती है, जिससे जनधन की हानि, समाज में अशांति, राजनीतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

गणगौर पूजा का महत्व

बासंतिक नवरात्रि के दौरान तृतीया तिथि को गणगौर पूजा का विशेष महत्व होता है। नवविवाहित एवं सौभाग्यवती महिलाएं इस दिन गणगौर पूजन करती हैं। यह पूजन होली के दिन से शुरू होकर तृतीया तिथि पर समाप्त होता है।

नवरात्रि का धार्मिक महत्व

नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का होता है। कभी-कभी यह पर्व 10 दिन तक भी चलता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। जब नवरात्रि के दिनों में कमी होती है, तो इसे शुभ संकेत नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस बार तृतीया तिथि के क्षय के कारण केवल 8 दिनों की नवरात्रि रहेगी, जो वैश्विक अस्थिरता का कारण बन सकती है।