Nepal / नेपाल में कोसी बांध पर खतरा, मचेगी तबाही, भारत पर ही ठीकरा

नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से कोसी, कमला सहित कई नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। नेपाली मीडिया के मुताबिक कोसी के पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। यदि ऐसा होता है तो बिहार में बाढ़ से भारी तबाही मचेगी। इन दिनों हर बात के लिए भारत पर आरोप मढ़ने वाले नेपाल ने बाढ़ के लिए कोसना शुरू कर दिया है।

Live Hindustan : Jul 12, 2020, 02:23 PM
नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से कोसी, कमला सहित कई नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। नेपाली मीडिया के मुताबिक कोसी के पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। यदि ऐसा होता है तो बिहार में बाढ़ से भारी तबाही मचेगी। इन दिनों हर बात के लिए भारत पर आरोप मढ़ने वाले नेपाल ने बाढ़ के लिए कोसना शुरू कर दिया है, जबकि हाल ही में बिहार के जलसंसाधन मंत्री संजय झा ने कहा था कि नेपाल बांधों के मरम्मत में सहयोग नहीं कर रहा है।

नेपाली मीडिया हाउस कांतिपुर की एक खबर के मुताबिक, सप्तकोशी के पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से सुनसरी और सप्तरी में कोसी के पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा पैदा हो गया है। गौरतलब है कि ये जिले बिहार सीमा से सटे हुए हैं। बांध टूटा तो बिहार में भी तबाही मचेगी। 

कोसी विक्टिम्स सोसाइटी के अध्यक्ष, देव नारायण यादव ने कहा कि बांध टूटने का जोखिम बढ़ गया है। क्योंकि बांध के उचित रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया। हमने बार-बार कहा है कि कोशी को रेत के तटबंधों के निर्माण से नहीं बचाया जा सकता है। कोसी की रेत को खोदकर पश्चिमी तटबंध का निर्माण किया गया था। बांध का रखरखाव भारतीय कोशी योजना के तहत किया जाता है। 

उन्होंने कहा कि सप्तरी के हनुमाननगर कांकालिनी नगर पालिका -14 डालुवा में पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि कोशी समझौते के अनुसार, नेपाल के रास्ते भारत की ओर बहने वाली सप्तकोशी नदी के तटबंध सहित सभी सुरक्षा और बचाव कार्य भारत द्वारा किए जाते हैं।

कांतिपुर के मुताबिक अगस्त 1963 में दल्लवा में सप्तकोशी बांध के फटने के बाद नेपाल सरकार के नेतृत्व में भारत ने लगभग 5 किमी दूर एक और तटबंध बनाया। अखबार ने कहा है कि कोशी में भारतीय अधिकारियों की उदासीनता कारण 57 वर्षों के बाद फिर से उसी स्थान पर तटबंध के ढहने का खतरा बढ़ गया है। अखबार ने कहा है कि भारत द्वारा निर्मित चैनल ने प्रवाह को बदल दिया है और पश्चिमी तटबंध पर दबाव बढ़ा दिया है।